सार

इब्राहिम का कहना है अगर चंद सेकेंड की देर हो जाती तो कुछ भी हो सकता था। लेकिन अब शहर में ऑक्सीजन नहीं मिल रही है। अब ऐसे में बड़ी दुविधा यही है कि कल तो जैसे तैसे जान बचा ली आगे क्या करेंगे नहीं जानते।

 

नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण से जूझ रहे अस्पतालों में ऑक्सीजन, बेड और दवाइयों की कमी किसी से छुपी नहीं है। ऐसे में अचानक इतने मरीज बढ़ गए कि स्वास्थ्य सेवा भी कम पड़ रही है। अब तो सच यह है नई पीढ़ी ने इंसानी जिंदगी को इतना लाचार शायद ही कभी देखा होगा, जितना आज देख रहा है। जी हां, ऐसे में हम आपको दो दर्दभरी घटनाओं के बारे में बता रहे, जो वैसे तो अलग-अलग स्थानों की हैं, लेकिन इन्हें पढ़ने के बाद आप भी यही कहेंगे मौत नहीं हमें तो सिस्टम से है शिकायत। 

3 एंबुलेंस और ऑक्सीजन टैंकर के सामने पत्नी की मौत
पहली घटना अहमदाबाद से सामने आई है, जिसकी तस्वीर पूरे हालात बयां करने के लिए काफी है। जी हां, एक महिला को ऑक्सीजन की तुरंत जरूरत थी। पति साढ़े चार घंटे तक रिक्शा लेकर यहां-वहां भागता रहा। तीन अस्पतालों ने उसे लौटा दिया। आखिर सिविल अस्पताल के दरवाजे पर पत्नी ने व्हीलचेयर पर ही दम तोड़ दिया। जबकि सामने 3 एंबुलेंस और 20 हजार लीटर ऑक्सीजन का टैंक खड़ा था।

ठेले को बनाया एंबुलेंस, ऐसे बचाई पत्नी की जान
उज्जैन में ऐसा ही एक मामला सामने आया। जहां पीड़ित इब्राहिम ने बताया की उसकी को अस्थमा की शिकायत है और उसकी अचानक तबियत बिगड़ गई। एम्बुलेंस को कॉल किया लेकिन उसने मना कर दिया। ऐसे में पड़ोसी कल्लू ने पास ही खड़ी ठेला गाड़ी को 50 रुपए किराए पर लिया और फिर ऑक्सीजन सिलेंडर जुगाड़ कर ठेले को एम्बुलेंस बना दिया। जिसपर पत्नी को लिटाकर एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। जहां उसकी हालत स्थिर बनी हुई है।

आगे क्या होगा नहीं जानते
इब्राहिम का कहना है अगर चंद सेकेंड की देर हो जाती तो कुछ भी हो सकता था। लेकिन अब शहर में ऑक्सीजन नहीं मिल रही है। अब ऐसे में बड़ी दुविधा यही है कि कल तो जैसे तैसे जान बचा ली आगे क्या करेंगे नहीं जानते।