सार

उमरादेहान में डॉ. लोहिया की प्रतिमा अनावरण पर रघु ठाकुर ने आदिवासियों को भूमि पट्टे देने की वकालत की। संजय सिंह ने समाजवाद के महत्व पर ज़ोर दिया और आदिवासियों की आवाज़ उठाने का वादा किया।

उमरादेहान ( धमतरी, छत्तीसगढ़)। सुप्रसिद्ध सोशलिस्ट चिंतक व जननेता रघु ठाकुर ने कहा है कि देश के आदिवासियों को यदि आजीविका के लिए जमीन के पट्टे दे दिए जायें तो जंगल भी सुरक्षित होंगे और वन्यजीवों की रक्षा भी हो जायेगी। देश में इक्कीस लाख व मध्यप्रदेश में दो लाख भूमिहीन आदिवासी हैं। इनकी समस्याओं को लेकर जल्दी ही दिल्ली में अभियान शुरू किया जाएगा। रघु ठाकुर ने आज उमरादेहान में डा. राममनोहर लोहिया की प्रतिमा के अनावरण के अवसर पर यह बात कही। नगरी सिहावा अंचल के आदिवासियों ने एक- एक किलो धान इकठ्ठा कर यह प्रतिमा तैयार कराई है। 

डॉ लोहिया की आवक्ष प्रतिमा के अनावरण के अवसर पर संसद- सदस्य संजय सिंह समारोह के मुख्य अतिथि थे। पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा के बेटे व पूर्व विधायक अरुण वोरा , पत्रकार गोविंद लालावोरा के बेटे अमृत संदेश के प्रधान संपादक राजीव वोरा भी इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित हुए। रघु ठाकुर ने कहा कि उमरादेहान अहिंसा का तीर्थ है। सत्तर साल पहले डॉ लोहिया ने यहीं से आदिवासियों को भूमि के अधिकार का आन्दोलन शुरू किया। वनग्रामों को राजस्व ग्राम जैसी सुविधाएं देने की मांग यहीं से उठी। इस अंचल की चार पीढ़ियों ने अपने अधिकारों के लिए जेल की यात्रा करके यह बता दिया कि दुनिया को बदलने का सबसे बड़ा माध्यम जेल है, बंदूक या हिंसा नहीं। नगरी सिहावा अंचल हिंसाग्रस्त वनांचल में अहिंसा के टापू की तरह है।

 नक्सली हिंसा में दोनों तरफ से आदिवासी ही मर रहे हैं। सरकार को भी समझना होगा कि बंदूक की गोली से हिंसा तो मर सकती है , पर विचार नहीं। नगरी सिहावा अंचल के उमरादेहान जैसे गांवों से देश में यह संदेश जाना चाहिए। राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि समाजवादी आन्दोलन और समाजवाद दोनों ही जंगलों में जीवित हैं। आदिवासियों की आवाज को वे निरंतर संसद में उठाते रहेंगे। जब तक गैर-बराबरी है तब तक समाजवाद रहेगा। रघु ठाकुर जी जैसे सोशलिस्ट नायक ने समाजवाद को जमीन पर उतारने के लिए लगातार आंदोलन किए और जेल - लाठी - डंडा- मुकदमा की परवाह नहीं की। मुझ जैसे अनेक लोगों को राजनीति और समाजवाद का ककहरा रघु जी ने ही सिखाया। समारोह में हर राजनीतिक विचारधारा से जुड़े लोग दूर दूर से आये थे। लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्यामसुंदर यादव ( भिंड) , महामंत्री अरुण प्रताप सिंह ( दिल्ली) , लोसपा छत्तीसगढ़ इकाई के अध्यक्ष अशोक पंडा, महासचिव श्याम मनोहर सिंह( भिलाई) डॉ शिवा श्रीवास्तव ( भोपाल) , वंशी श्रीमाली , कांग्रेस नेता रामकुमार पचौरी ( सागर ) जयंत सिंह तोमर ने सभा को सम्बोधित किया। 

लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष शिव नेताम, कौआ बहरा की सरपंच राधिका नेताम व स्थानीय आदिवासियों के प्रयास से हुए आज के समारोह में भारी संख्या में महिलाएं भारी बारिश में अविचल भाव से रघुजी व अन्य वक्ताओं को सुनने के लिए विशाल जन समुदाय बैठा रहा। धन्यवाद ज्ञापन राजनांदगांव से आये कवि रामकुमार तिवारी ने किया।सभा मेंअरुण राणा अकलतरा अशोक जी ( बिलासपुर) , फेकनसिंह साहू जी सरपंच कुरदा चांपा डॉ सोमनाथ साहू रामसिंह क्षत्री श्याम मनोहर सिंह, अरविंद कुमार सिंह ,अशोक पंडा, अशोक जी योग गुरु, बबीता जी, भिलाई के समाजवादी साथी आप के अध्यक्ष गोपाल साहू, सूरज उपाध्याय, जनता दल यू व भाजपा के पदाधिकारी उपस्थित रहे। 

अध्यक्षीय उद्बोधन में रघु ठाकुर ने कहा कि नगरी सिहावा के ऐतिहासिक आंदोलन को स्कूल कालेज के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए जिससे आने वाली पीढ़ी को अहिंसक आंदोलन की प्रेरणा मिले। उन्होंने कहा भारत की राजनीति और समाजवादी आन्दोलन को १९९० के बाद आये एनजीओ ने बड़ा नुकसान पहुंचाया है। जनतंत्र, अहिंसा , सविनय अवज्ञा और आन्दोलन से देश आगे बढ़ रहा है। हमें ऐसा विकास नहीं चाहिए जो अमीरी के टापू खड़े करे। आदिवासी समाज में कभी बलात्कार की घटनाएं सुनने को नहीं मिलेंगी। इससे बड़ा सभ्यता का पैमाना क्या हो सकता है। डॉ लोहिया ने यहां से जो आंदोलन शुरू किया उसमें आदिवासी नेता सुखराम नागे की पुलिस हिरासत में मौत हुई। आज उनकी याद में एक शैक्षणिक संस्थान है। नगरी सिहावा के आदिवासियों की चार पीढ़ियों ने अनाम रहकर खुद को आंदोलन में झोंका। 

जेल यात्राओं के दौरान कभी किसी ने माफी नहीं मांगी। रघु जी ने कहा आदिवासी क्षेत्रों में अगर उद्योग लगते हैं तो स्थानीय आदिवासियों को पच्चीस फीसदी अंशधारी व लाभ का हिस्सेदार बनाया जाना चाहिए तथा उनकी भागीदारी होना चाहिए, ।इस मूद्दे को लेकर आगामी समय में आन्दोलन किए जायेंगे। उमरादेहान की सभा में सम्मिलित होने बस्तर में कोंडागांव- नारायणपुर व कांकेर से भी भारी संख्या में लोग आये जो इस समय हिंसाग्रस्त है। बस्तर के लोगों ने कहा है कि वे नगरी सिहावा आन्दोलन से प्रेरणा लेने तो आये ही हैं, रघु ठाकुर जी को भी बस्तर बुलाना चाहते हैं जिससे यहां के परिवेश में शांति की वापसी हो सके।