ED ने भारतमाला परियोजना में भूमि मुआवजा घोटाले की जांच में छत्तीसगढ़ में 9 जगहों पर छापेमारी की। रायपुर और महासमुंद में हुई यह कार्रवाई PMLA के तहत है। इसमें सरकारी अधिकारियों और ज़मींदारों की संलिप्तता की जांच हो रही है।
रायपुर: ED ने सोमवार को भारतमाला परियोजना के तहत भूमि मुआवजे के भुगतान में कथित गड़बड़ियों की चल रही जांच के तहत छत्तीसगढ़ में नौ जगहों पर तलाशी और जब्ती की कार्रवाई की। ये छापेमारी सुबह से ही राज्य पुलिस बल के साथ मिलकर छत्तीसगढ़ के रायपुर और महासमुंद इलाकों में की जा रही है। अधिकारियों ने कहा कि ये तलाशी ED के रायपुर ज़ोनल ऑफ़िस ने "भारतमाला परियोजना के तहत रायपुर-विशाखापत्तनम आर्थिक गलियारे के लिए ज़मीन अधिग्रहण के मुआवज़े के भुगतान में कथित गड़बड़ियों की जांच" के सिलसिले में की है।
यह जांच ज़मीन अधिग्रहण प्रक्रिया के दौरान ज़मींदारों को मुआवज़ा देने में हुए संदिग्ध वित्तीय घपले और कथित हेरफेर से जुड़ी है। तलाशी अभियान में हरमीत सिंह खनूजा, उनके सहयोगियों, ज़मीन अधिग्रहण प्रक्रिया में शामिल कुछ सरकारी अधिकारियों और मामले में जांच के दायरे में आए कई ज़मींदारों के ठिकानों को शामिल किया गया।
एजेंसी इस बात की जांच कर रही है कि क्या मुआवज़े की रकम को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया, उसका गबन किया गया या उसे गैर-कानूनी तरीकों से कहीं और भेजा गया।
अधिकारियों ने कहा कि ED इस मामले की जांच प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत कर रही है। यह कार्रवाई मुआवज़ा प्रक्रिया में अपराध की कमाई होने का संकेत देने वाले इनपुट और सबूतों के आधार पर की गई है।
भारतमाला परियोजना केंद्र सरकार की सबसे बड़ी राजमार्ग विकास योजनाओं में से एक है, जिसका मकसद सड़क संपर्क बढ़ाना, लॉजिस्टिक्स की लागत कम करना और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है। ऐसे बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए ज़मीन अधिग्रहण में भारी सरकारी पैसा लगता है, इसलिए इसमें पारदर्शिता और जवाबदेही बहुत ज़रूरी है। सूत्रों ने बताया कि जांच का फोकस कथित गड़बड़ियों में बिचौलियों, सरकारी कर्मचारियों और लाभार्थियों की भूमिका की पहचान करना है। ED इस बात की भी जांच कर रही है कि क्या अधिकारियों ने कुछ चुनिंदा लोगों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया।
