सार
Success Story: देश का हर युवा सर्वोच्च पद पर पहुंचकर देश की सेवा करना चाहता है और इसके लिए वह कठिन से कठिन परीक्षा में भी सफल होना चाहता है। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे पुलिस अधिकारी की कहानी बताने जा रहे हैं, जिनका जन्म आईएएस और आईपीएस की फैक्ट्री यानी बिहार में हुआ, लेकिन उन्होंने अपने खास अंदाज से देशभर में अलग पहचान बनाई और अब योगी सरकार को सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं।
1990 बैच के हैं प्रशांत कुमार
दरअसल, तमिलनाडु कैडर के 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे प्रशांत कुमार की गिनती तेज तर्रार पुलिस अधिकारियों में होती है, हालांकि अपने कारनामों के लिए लगातार चर्चा में रहने वाले प्रशांत कुमार वर्तमान में उत्तर प्रदेश के डीजीपी हैं। पुलिस विभाग में प्रशांत कुमार को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट भी कहा जाता है।
कहां के रहने वाले हैं प्रशांत कुमार
प्रशांत कुमार मूल रूप से बिहार के सीवान के रहने वाले हैं। उनका जन्म 16 मई 1965 को हुआ था। वे शुरू से ही पढ़ाई में भी अव्वल रहे हैं। उनके पास 3 मास्टर डिग्री हैं। उन्होंने डिजास्टर मैनेजमेंट में एमबीए किया है। उन्होंने एप्लाइड जूलॉजी में एमएससी किया है। उन्होंने डिफेंस एंड स्ट्रैटेजिक स्टडीज में एफ.फिल की डिग्री भी हासिल की है।
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तमिलनाडु कैडर से ट्रांसफर होकर यूपी कैडर में हुए शामिल
तमिलनाडु कैडर से ट्रांसफर होने के बाद वे 1994 में यूपी कैडर में शामिल हुए। अपराध के खिलाफ कई बड़े फैसले लेकर वे चर्चा में आए हैं। पुलिस महकमे में उन्हें असली सिंघम के तौर पर जाना जाता है। प्रशांत कुमार दिल्ली के मेट्रो अस्पताल के डॉ. श्रीकांत गौड़ के अपहरण के बाद चर्चा में आए थे। अपहरण कांड में शामिल अपराधियों ने गौड़ को छोड़ने के बदले में 5 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी थी।
अब तक चार बार वीरता पुरस्कार मिल चुका
प्रशांत कुमार ने न सिर्फ गौड़ को सुरक्षित रिहा करवाया, बल्कि अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने में भी अहम भूमिका निभाई। उस वक्त प्रशांत कुमार 2017 में मेरठ जोन के एडीजी थे। गौर अपहरण कांड को सुलझाने के बाद वे चर्चा में आए थे। प्रशांत कुमार को अब तक चार बार वीरता पुरस्कार मिल चुका है। उन्हें 2020, 2021, 2022 और 2023 में लगातार चार बार राष्ट्रपति से पुलिस पदक मिल चुका है। वह वर्तमान में यूपी के डीजीपी हैं और योगी सरकार को सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं।
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