Raghopur Seat Profile: बिहार की राघोपुर विधानसभा सीट राज्य की सबसे वीआईपी सीटों में से एक मानी जाती है। यह सीट लंबे समय से लालू परिवार का गढ़ रही है। तेजस्वी यादव की लगातार जीत ने इसे और भी प्रतिष्ठित बना दिया है। 

Raghopur Vidhan Sabha: बिहार की सबसे चर्चित और वीआईपी सीटों में से एक राघोपुर विधानसभा क्षेत्र से 2020 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता और लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार सतीश कुमार को 38,174 मतों के भारी अंतर से हराया। इस मुकाबले में लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के उम्मीदवार राकेश रोशन ने भी अहम भूमिका निभाई। उन्हें लगभग 25,000 वोट मिले, जिससे सतीश कुमार का वोट बैंक कमजोर हुआ और तेजस्वी को सीधा फायदा हुआ।

लालू परिवार का गढ़

राघोपुर सीट पर लालू परिवार का वर्षों से दबदबा रहा है। खुद लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और अब उनके बेटे तेजस्वी यादव यहां से विधायक रहे हैं। यह इलाका राजद का पारंपरिक गढ़ माना जाता है। हालांकि, 2010 में जदयू नेता सतीश कुमार ने राबड़ी देवी को हराकर लालू परिवार के किले में सेंध लगाई थी। बाद में सतीश जदयू छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए, लेकिन 2015 और 2020 में तेजस्वी यादव ने उन्हें हराकर परिवार का दबदबा फिर से स्थापित किया।

सीट का ऐतिहासिक सफर

राघोपुर विधानसभा सीट पर अब तक 20 बार चुनाव हुए हैं, जिनमें से ज़्यादातर बार लालू परिवार या उनके करीबी नेता ही विजयी हुए हैं। कांग्रेस ने आखिरी बार 1972 में इस सीट पर जीत हासिल की थी, जिसके बाद पार्टी को यहां सफलता नहीं मिली है। उदय नारायण राय एक ऐसे नेता थे जिन्होंने इस सीट से तीन अलग-अलग पार्टियों से चुनाव लड़ा और हर बार जीत हासिल की। 1995 में उन्होंने खुद यह सीट लालू यादव को सौंप दी, जिसके बाद लालू जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते।

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1995 में पहली बार मिला था लालू परिवार को हार

लेकिन चारा घोटाले में नाम आने के बाद लालू को जल्द ही जेल भेज दिया गया और उनकी जगह उनकी पत्नी राबड़ी देवी को टिकट दिया गया, जिन्होंने 2000, फरवरी 2005 और अक्टूबर 2005 में सीट जीती। हालांकि, वह 2010 में सतीश कुमार से हार गईं। 1995 के बाद पहली बार लालू परिवार को हार का सामना करना पड़ा था।

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