सार
Attack On Anant Singh: बिहार के मोकामा प्रखंड के नौरंगा जलालपुर गांव में बुधवार को कुख्यात अपराधी सोनू-मोनू गिरोह ने मोकामा के पूर्व विधायक अनंत कुमार सिंह पर ताबड़तोड़ फायरिंग की। इस घटना के बाद इलाके में तनाव है। इस घटना के बाद बाढ़ डीएसपी कैंप कर रहे हैं, साथ ही नौरंगा गांव को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है।
कौन है सोनू मोनू गैंग वहीं, घटना को अंजाम देने के बाद सोनू-मोनू गिरोह के सभी सदस्य मौके से फरार हो गए हैं। ऐसे में अब आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि आखिर यह सोनू-मोनू गिरोह कौन है? तो चलिए इसका जवाब देते हैं। सोनू और मोनू दोनों भाई हैं, जो जलालपुर गांव के रहने वाले हैं। अनंत सिंह और सोनू मोनू शुरू से ही एक दूसरे के विरोधी रहे हैं। इसकी वजह अनंत सिंह के विरोधी गुट से उनकी जान-पहचान बताई जा रही है। हालांकि अनंत सिंह के जेल से छूटने के बाद सोनू-मोनू और पूर्व विधायक के बीच रिश्ते सुधर गए थे। लेकिन बुधवार को एक बार फिर वर्चस्व को लेकर घटना घटी है।
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दरअसल, 15 साल पहले ट्रेन लूटने के बाद अपराध की दुनिया में कदम रखने वाले सोनू-मोनू पंचमहल ओपी (मराछी थाना) के जलालपुर गांव के रहने वाले हैं। सोनू और मोनू यूपी के बाहुबली मुख्तार अंसारी की टीम का अहम हिस्सा रहे हैं। ये दोनों मुख्य रूप से बिश्नोई गुट की तरह अपना अलग गुट बनाने की फिराक में हैं। इस गिरोह ने पहले भी अनंत सिंह की हत्या की साजिश रची थी। साल 2017 में सोनू-मोनू गिरोह के कुख्यात मोनू सिंह ने अनंत सिंह की हत्या के लिए 50 लाख रुपये की सुपारी ली थी।
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इसके साथ ही अपना वर्चस्व कायम करने के लिए सोनू-मोनू ने गांव में ही दरबार लगाना शुरू कर दिया। इसके बाद दोनों भाइयों के पास ऐसे लोग आने लगे, जिनकी समस्याओं का समाधान विभागीय अधिकारियों से नहीं हो रहा था। परेशान लोग सोनू-मोनू के दरबार में आने लगे। इस बीच इन दोनों भाइयों का सफेदपोश लोगों से गठजोड़ मजबूत होने लगा और कई ऐसे लोगों से इनकी जान-पहचान भी हो गई और सरकार में भी इनका अच्छा खासा प्रभाव है। अब इसी प्रभाव के कारण इन दोनों भाइयों का मोकामा प्रखंड और अंचल कार्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों पर ऐसा खौफ है कि फोन पर इनकी आवाज सुनते ही समस्या का समाधान हो जाता है।