बिहार के मधुबनी में 700 साल पुरानी परंपरा के अनुसार दूल्हा बाज़ार लगता है, जहां लड़की वाले लड़कों पर बोली लगाकर उन्हें खरीद सकते हैं। योग्यता, परिवार और कुंडली देखकर दूल्हे का चयन किया जाता है।

बेटे की शादी करनी है, लड़की नहीं मिल रही? आपके लिए एक मौका है। आप अपने बेटे को बेच सकते हैं! लड़कियों वाले आपके बेटे पर बोली लगाकर उसे खरीद सकते हैं। भारत में आजकल शादी के लिए लड़कियाँ नहीं मिल रहीं, ऐसी शिकायतें आम हैं। कई लड़के 35 की उम्र पार कर जाते हैं फिर भी कुंवारे रहते हैं। अगर आपको मनपसंद लड़की चाहिए तो आप दूल्हा बाज़ार जा सकते हैं। वहाँ आपको सही दाम पर खरीदने वाली लड़की मिल सकती है। भारत में पहले दूल्हा-दुल्हन के लिए ऑनलाइन साइट्स नहीं होती थीं। दूल्हा-दुल्हन ढूंढना बहुत मुश्किल था। लड़कियों के घरवाले दूर-दूर जाकर लड़के ढूंढते थे। ऐसे लोगों के लिए दूल्हा बाज़ार शुरू हुआ था। यही परंपरा आज भी जारी है।

ये दूल्हा बाज़ार कहां लगता है?: बिहार के मधुबनी में सौरथ सभा नाम की जगह पर दूल्हा बाज़ार लगता है। लड़की का परिवार यहाँ आकर लड़के पर बोली लगाता है। सौरथ सभा बाज़ार में बिकने वाले दूल्हे की एक निश्चित दर होती है। जून-जुलाई के महीने में ये बाज़ार लगता है।

सौरथ सभा दूल्हा बाज़ार में, लड़के की योग्यता, परिवार, कमाई, कुंडली वगैरह देखकर लड़की वाले उसे खरीदते हैं। मधुबनी के इस बाज़ार में योग्य लड़के और लड़कियाँ आते हैं।

कब से है ये रिवाज़?: ये कोई नया रिवाज़ नहीं है। दूल्हा बाज़ार की परंपरा 700 साल पुरानी है। कहते हैं कि मैथिल ब्राह्मण और कायस्थों ने इसे शुरू किया था। पहले इस बाज़ार में गुरुकुल से लड़कों को लाया जाता था। यहाँ लड़कियों के माता-पिता अपनी बेटियों के लिए दूल्हे चुनते थे। पहले ब्राह्मण और कायस्थों के लिए ही ये बाज़ार था, अब सबके लिए खुला है। इस बाज़ार में, लड़की का परिवार, लड़के के परिवार की पूरी जाँच-पड़ताल के बाद ही शादी तय करता है।

इस बाज़ार में किस बात को ज़्यादा अहमियत दी जाती है?: जैसा कि पहले बताया गया है, लड़के के स्कूल के सर्टिफिकेट से लेकर जाति प्रमाण पत्र तक सब कुछ देना होता है। लेकिन लड़की और लड़के का गोत्र मिल जाए तो माता-पिता शादी के लिए तैयार हो जाते हैं।

दूल्हा जाता है दुल्हन के घर: भारत में कई अलग-अलग परंपराएं हैं। ज़्यादातर जगहों पर शादी के बाद दुल्हन, दूल्हे के घर जाती है। लेकिन मेघालय के खासी समुदाय में अलग रिवाज़ है। यहां दुल्हन नहीं, दूल्हा अपना घर छोड़ता है। शादी के बाद दूल्हा, दुल्हन के घर रहता है। लड़कियों को अपना जीवनसाथी चुनने का पूरा अधिकार होता है। इस समुदाय में, लड़कियों का माता-पिता की संपत्ति पर पहला हक होता है।