क्या गायघाट विधानसभा चुनाव 2025 (Gaighat Assembly Seat) में फिर से आरजेडी की वापसी होगी या जेडीयू दोबारा जीत हासिल करेगी? 2010 से 2020 तक के नतीजे बताते हैं कि यहां हर बार सत्ता बदलती रही है।
Gaighat Assembly Election 2025: गायघाट विधानसभा सीट (Gaighat Vidhan Sabha Seat), बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की एक बेहद अहम सीट है। यहां 2010 से 2020 तक के तीन विधानसभा चुनावों ने दिखा दिया है कि यह क्षेत्र कभी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) तो कभी जनता दल (यूनाइटेड -JDU) के साथ खड़ा होता है। इस सीट पर अब तक आरजेडी और जेडीयू के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली है, जबकि 2010 में भाजपा (BJP) ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी। 2025 का चुनाव भी बेहद दिलचस्प माना जा रहा है, क्योंकि यहां का राजनीतिक इतिहास सत्ता के बदलते समीकरणों की गवाही देता है।
2010 गायघाट विधानसभा चुनाव: भाजपा की जीत
2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार वीणा देवी (Veena Devi) ने जीत हासिल की।
- वीणा देवी (BJP) -56,386 वोट
- महेश्वर प्रसाद यादव (RJD)- 40,399 वोट
- जीत का अंतर: 15,987 वोट
खास बात: यह चुनाव भाजपा के लिए अहम साबित हुआ क्योंकि इससे पहले इस सीट पर आरजेडी की पकड़ मानी जाती थी।
2015 गायघाट विधानसभा चुनाव: जेडीयू का दबदबा
2015 में जेडीयू के महेश्वर प्रसाद यादव (Maheshwar Prasad Yadav) ने जीत दर्ज की और भाजपा को हराकर यह साबित किया कि एनडीए का असर यहां मजबूत है।
- महेश्वर प्रसाद यादव (JDU) - 67,313 वोट
- वीणा देवी (BJP)- 63,812 वोट
- जीत का अंतर: 3,501 वोट
खास बात: इस चुनाव में जेडीयू ने मतदाताओं का भरोसा जीतकर बड़ा उलटफेर किया।
2020 गायघाट विधानसभा चुनाव: आरजेडी की वापसी
2020 के चुनाव में जनता ने फिर रुख बदला और आरजेडी उम्मीदवार निरंजन राय (Niranjan Roy) को जिताकर अपनी खोई जमीन वापस दिला दी।
- निरंजन राय (RJD)-59,778 वोट
- महेश्वर प्रसाद यादव (JDU)-52,212 वोट
- जीत का अंतर: 7,566 वोट
खास बात: इस जीत ने आरजेडी को गायघाट में फिर से मज़बूत कर दिया और साफ कर दिया कि मतदाता अब भी बदलाव चाहते हैं।
नोट: निरंजन राय स्नातक तक की शिक्षा ग्रहण की है। उनके खिलाफ पांच आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। उनके पास कुल 2.55 करोड़ की चल-अचल संपत्ति के मालिक हैं। उनके ऊपर 75.69 लाख रुपए का लोन है।
राजनीतिक समीकरण और भविष्य की तस्वीर
गायघाट विधानसभा की राजनीति में आरजेडी और जेडीयू का संघर्ष सबसे अहम है। यहां का चुनावी इतिहास यह बताता है कि मतदाता कभी एनडीए तो कभी महागठबंधन के साथ खड़े होते हैं। 2025 का चुनाव इसलिए और भी रोचक होगा क्योंकि निरंजन राय बनाम महेश्वर यादव की टक्कर फिर देखने को मिल सकती है।
