छपरा विधानसभा चुनाव 2025: बिहार की इस चर्चित सीट में BJP, RJD और JDU के बीच कड़ी टक्कर। 2010, 2015 और 2020 के आंकड़े दिखाते हैं मतदाताओं का बदलता मूड। स्मार्ट सिटी, विकास और जातीय समीकरण होंगे निर्णायक।
Chapra Assembly Election 2025: छपरा विधानसभा सीट बिहार के सारण जिले की सबसे चर्चित और महत्वपूर्ण सीटों में शामिल है। यह क्षेत्र शहरी और ग्रामीण मिलाजुला स्वरूप रखता है, जिससे चुनावी समीकरण हमेशा जटिल बने रहते हैं। 2020 में BJP के डॉ. C. N. गुप्ता ने RJD के रणधीर कुमार सिंह को कड़े मुकाबले में हराकर 19,163 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। छपरा विधानसभा में BJP, RJD और JDU मुख्य राजनीतिक दलों के रूप में सक्रिय हैं। 2025 में भी जनता तय करेगी कि कौन अपना भरोसा जीतता है। स्थानीय मुद्दों में सड़क, ट्रैफिक, स्वास्थ्य सुविधाएं, बाढ़ प्रबंधन और रोजगार प्रमुख भूमिका निभाएंगे।
पिछले तीन विधानसभा चुनावों का विश्लेषण
2020 विधानसभा चुनाव
- विजेता: डॉ. C. N. गुप्ता (BJP)- 75,710 वोट
- उपविजेता: रणधीर कुमार सिंह (RJD)- 60,547 वोट
- वोट अंतर: 19,163
नोट: डा. सीएन गुप्ता पर कोई आपराधिक केस नहीं है। उनके पास कुल 4.27 करोड़ रुपए चल-अचल संपत्ति है। उन पर 32 लाख रुपए का लोन है।
2015 विधानसभा चुनाव
- विजेता: डॉ. C. N. गुप्ता (BJP)- 71,646 वोट
- उपविजेता: रणधीर कुमार सिंह (RJD) - 60,267 वोट
- वोट अंतर: 11,379
2010 विधानसभा चुनाव
- विजेता: जनार्दन सिंह सिग्रीवाल (BJP)-61,045 वोट
- उपविजेता: प्रमेंद्र रंजन सिंह (RJD)-25,174 वोट
- वोट अंतर: 35,871
छपरा विधानसभा: जातीय समीकरण और राजनीतिक प्रभाव
छपरा विधानसभा में वैश्य समुदाय भाजपा के लिए मजबूत आधार है। वहीं, यादव और मुस्लिम मतदाता RJD के साथ झुकाव रखते हैं। इसके अलावा ब्राह्मण, राजपूत, कोइरी, कुशवाहा और पासवान जातियां भी निर्णायक भूमिका निभाती हैं। JDU और कांग्रेस कभी-कभी ब्राह्मण और मुस्लिम वोटों को साधने की कोशिश करते हैं।
आगामी चुनाव के मुद्दे
- 1. विकास: सड़क, पुल और शहर का स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट
- 2. स्वास्थ्य: अस्पताल और स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार
- 3. शिक्षा और रोजगार: नए अवसर और बेहतर स्कूल
- 4. बुनियादी समस्याएं: ट्रैफिक जाम, गंदगी और बाढ़ प्रबंधन
खास बात: इन मुद्दों पर उम्मीदवारों के वादे और पिछले कामकाज का लेखा-जोखा मतदाता के निर्णय को प्रभावित करेगा।
रणनीति और मुकाबला
BJP कोशिश करेगी कि डॉ. C. N. गुप्ता को फिर से मैदान में उतारा जाए। वहीं RJD और JDU यादव-मुस्लिम और अति पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को साधने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। अगर विपक्ष एकजुट होता है, तो भाजपा के लिए जीत आसान नहीं होगी।
