Bihar News: बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र की शुरुआत हंगामे के साथ हुई। एनडीए विधायक दल की बैठक में डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा जेडीयू के एक मंत्री पर भड़क गए। इस हंगामे के बाद तेजस्वी यादव ने सरकार पर 1000 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। 

Bihar Politics: बिहार की राजनीति सोमवार को उस समय गरमा गई जब विधानसभा सत्र के दौरान उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा और जेडीयू नेता व वरिष्ठ मंत्री अशोक चौधरी आपस में भिड़ गए। बहस इतनी तीखी थी कि पूरे सदन में सन्नाटा छा गया।

विजय सिन्हा और अशोक चौधरी क्यों भिड़े?

सूत्रों के अनुसार, इस विवाद की वजह एक ओर ग्लोबल टेंडरिंग बताई जा रही है, तो दूसरी ओर आरजेडी विधायक प्रह्लाद यादव हैं, जिन्होंने पिछले साल नीतीश कुमार के शक्ति परीक्षण के दौरान अपना रुख बदल लिया था और एनडीए के समर्थन में आ गए थे। अब आगामी विधानसभा चुनाव में उनके टिकट को लेकर बीजेपी और जेडीयू के बीच खींचतान चल रही है।

सूर्यगढ़ा से विधायक हैं प्रह्लाद यादव

प्रह्लाद यादव लखीसराय के सूर्यगढ़ा से आरजेडी विधायक हैं। पिछले साल जब नीतीश कुमार का शक्ति परीक्षण चल रहा था, तब विजय कुमार सिन्हा ने प्रह्लाद यादव का हाथ थामकर उन्हें आरजेडी खेमे से एनडीए खेमे में शामिल करवाया था। उस समय माना जाता था कि प्रह्लाद यादव के पाला बदलने में विजय कुमार सिन्हा की अहम भूमिका थी।

अब जब प्रह्लाद यादव को उम्मीद थी कि आगामी विधानसभा चुनाव में उन्हें एनडीए से टिकट मिलेगा, इसी बीच केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने इशारों-इशारों में साफ कर दिया कि सूर्यगढ़ा सीट जनता दल यूनाइटेड की है और इशारों-इशारों में उन्होंने प्रह्लाद यादव का नाम लिए बिना कहा कि लखीसराय के आतंक को टिकट नहीं मिलेगा। इस बात को लेकर विजय कुमार सिन्हा और अशोक चौधरी के बीच बहस हो गई क्योंकि जब ललन सिंह ने लखीसराय में यह बयान दिया तो अशोक चौधरी भी उनके साथ मौजूद थे।

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तेजस्वी ने ली चुटकी

इस बहस के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर एनडीए के दोनों सहयोगी दलों भाजपा और जेडीयू पर तीखा हमला बोला। 

कहा कि भ्रष्टाचार की बंदरबाँट को लेकर एनडीए के उपमुख्यमंत्री और वरीय मंत्री बैठक में ही एक दूसरे से झगड़ने लगे।

जदयू के अधीन ग्रामीण कार्य विभाग में ग्लोबल टेंडरिंग के माध्यम से केवल बड़े ठेकेदारों को ठेका देकर चुनाव पूर्व जेडीयू ने 1000 करोड़ रुपये वसूलने का लक्ष्य रखा है। चुनाव पूर्व ग्रामीण सड़कों का निर्माण भी नहीं होना है लेकिन केवल टेंडर मैनेज कर लूट-खसोट का खेल चल रहा है। भ्रष्टाचार इतना अधिक है कि एनडीए विधायक भी चूँ तक नहीं कर सकते।

हर घर का नल का जल तो इससे भी बड़ा भ्रष्टाचार है। उसमें राज्य के खजाने से हज़ारों करोड़ की संस्थागत लूट हुई है। मुख्यमंत्री अचेत और खामोश है। बाक़ी मंत्रियों को अच्छे से पता है कि सरकार जाने वाली है इसलिए खुलम-खुला लूट मची है। उपमुख्यमंत्री बेचारे विजय सिन्हा जी को कितना बेबस कर दिया है।

यह विवाद ऐसे समय सामने आया है जब बिहार में चुनावी तैयारियां ज़ोरों पर हैं। इस विवाद के बाद एनडीए खेमे में आपसी अविश्वास की दरारें दिखाई देने लगी हैं।

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