Bihar Voter Deletion Controversy: बिहार में 56 लाख वोटरों के नाम हटाए जाने से विधानसभा चुनाव 2025 की सियासत गर्म, EC ने बताया ये "स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन", विपक्ष ने पूछा- क्या गरीबों को वोट से बाहर किया जा रहा?" जानिए पूरा मामला।

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हल्के में ना लेना
बिहार चुनाव 2020 में लेफ्ट पार्टियों ने अच्छा परफॉर्मेंस किया। वामपंथी पार्टियां 2020 में कुल 29 सीटों पर चुनाव लड़ी और 16 पर जीत हासिल किया।

Bihar Voter Deletion Controversy: बिहार में विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) से पहले एक बड़ा राजनीतिक भूचाल यूं ही नहीं आया है। चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने बुधवार को खुलासा किया कि राज्य में 56 लाख वोटरों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं। यह कार्रवाई 'स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन' (Special Intensive Revision) के तहत की जा रही है। चुनाव आयोग की कार्रवाई के बाद पूरे राज्य का चुनावी समीकरण बदल जाएगा। विश्लेषकों का मानना है कि वोटर लिस्ट से इतने बड़े पैमाने पर नाम काटे जाने के बाद हर विधानसभा सीट पर कम से कम 33 हजार वोटर्स कम हो जाएंगे। यह आंकड़ा किसी भी चुनावी क्षेत्र का समीकरण बदलने के लिए काफी है।

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पहले जानते हैं वोटर लिस्ट में नाम हटाए जाने के आयोग के दावे

चुनाव आयोग ने बताया कि स्पेशल इंटेसिव रिवीजन में 56 लाख वोटर्स के नाम काटे गए हैं। आयोग के दावों के अनुसार, 20 लाख ऐसे लोग हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है, 28 लाख वोटर अब दूसरे राज्य में स्थायी रूप से रह रहे हैं, 7 लाख वोटर के नाम एक से अधिक स्थानों पर वोटर लिस्ट में हैं। एक लाख ऐसे भी वोटर्स हैं जिनका कहीं कोई अता पता नहीं है यानि कोई कांटेक्ट नहीं है। इसके अलावा, करीब 15 लाख लोगों ने पुनः सत्यापन फॉर्म ही नहीं भरे जिससे उनके नाम भी हटने की संभावना है।

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अब जानते हैं राजनीतिक बदलों ने क्यों कहा 'मतदाता सफाया अभियान'

विपक्षी दलों, खासकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस (Congress) ने इस प्रक्रिया को लेकर तीखा विरोध जताया है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने इसे गरीबों और वंचितों को वोटिंग प्रक्रिया से बाहर करने की "सुनियोजित साजिश" बताया। विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि पुनः सत्यापन की प्रक्रिया ऐसे समय शुरू की गई जब चुनाव बेहद करीब हैं। ऐसे में दस्तावेज जुटाने में असमर्थ वर्गों को बाहर कर देना जनतंत्र के खिलाफ है।

SC की निगरानी में चल रही है प्रक्रिया

मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तक पहुंच गया है। कोर्ट ने फिलहाल पुनरीक्षण की अनुमति दी है लेकिन यह सुनिश्चित करने को कहा है कि सभी हटाए गए मतदाताओं की अपीलें सुनकर अंतिम निर्णय लिया जाए। चुनाव आयोग ने वादा किया है कि 30 सितंबर को अंतिम सूची प्रकाशित की जाएगी।

चुनाव आयोग के इस कदम से हर विधानसभा प्रभावित

बिहार चुनाव सिर पर है और चुनाव आयोग ने मतदाता सूची से 56 लाख नाम काट दिए हैं। आंकड़ों पर गौर करने वाले स्पेशलिस्टों की मानें तो आयोग के इस कदम से राज्य की सभी 243 सीटों पर प्रभाव पड़ेगा। औसतन प्रत्येक विधानसभा में 23,045 वोटर कम हो जाएंगे। ऐसा होने पर हर सीट का चुनावी गणित बदल जाएगा। चुनावी समीकरण एक प्रतिशत वोटर्स भी बदल सकते हैं तो इतनी संख्या में एक-एक विधानसभा के वोटों का कम होना किसी पार्टी को लाभ पहुंचा सकते तो किसी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकते।

राजद को 92 सीटों पर इतने वोटों से मिली थी हार

पिछले चुनावों के आंकड़ों को देखे तो 2020 के विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनता दल करीब 92 सीटों पर कुछ सौ से लेकर 5 हजार से कम वोटों से हारा था। जानकार बताते हैं कि बीते विधानसभा चुनाव में RJD को 52 सीटों पर 5,000 से कम वोटों से हार मिली थी और 40 पर यह अंतर 3,500 से भी कम था।