सार

Trisha Gongadi: ICC विमेंस T20i वर्ल्ड कप 2025 में गोंगाडी तृषा ने बल्ले और गेंद से लाजवाब प्रदर्शन किया। जिसके चलते उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट घोषित किया गया। तृषा के पिता ने उन्हें क्रिकेटर बनाने के लिए काफी संघर्ष किया। आईए एक नजर डालते हैं।

 

Trisha Gongadi player of the Tournament: आईसीसी अंडर 19 विमेंस T20i वर्ल्ड कप 2025 में भारत की महिला टीम ने फाइनल में साउथ अफ्रीका को 9 विकेट से हराकर खिताब अपने नाम कर लिया। इसके साथ ही लगातार दो बार ट्रॉफी जीतने वाली टीम बन गई। भारतीय टीम ने 2023 और 2025 में यह कारनामा करके दिखाया। सभी खिलाड़ियों ने टीम इंडिया के लिए शानदार प्रदर्शन किया। ग्रुप स्टेज से लेकर फाइनल तक गेंदबाजों और बल्लेबाजों ने कमाल करके दिखाया। लेकिन, आज हम आपको उस खिलाड़ी के बारे में बताएंगे, जिसने फाइनल में प्लेयर ऑफ द मैच के साथ साथ प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का अवॉर्ड भी जीता। जी हां, हम गोंगाडी तृषा बात कर रहे हैं। उन्होंने गेंदबाजी और बल्लेबाजी से कमाल कर दिया।

गोंगाडी तृषा ने फाइनल में पहले गेंदबाजी करते हुए चार ओवर में 15 रन देकर तीन विकेट चटकाए। उसके बाद बल्लेबाजी में अंत तक नाबाद रहीं और 44 रन बनाए। इस दौरान उनके बल्ले से 8 चौके निकले। उनके दमदार प्रदर्शन के चलते उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच का अवार्ड दिया गया।

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प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बनीं गोंगाडी तृषा

तृषा ने पूरा टूर्नामेंट में गेंद और बल्ले से शानदार खेल दिखाया। गेंदबाजी में उन्होंने 6 मुकाबले खेलते हुए कुल 17 विकेट झटके। वहीं, बल्लेबाजी में भी तृषा ने 309 रन बनाईं। स्कॉटलैंड के खिलाफ 110 रनों के पारी खेलकर पहला शतक जड़ने वाली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी थीं। इसी के साथ वह पूरे टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली बल्लेबाज रहीं। जिसके चलते उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट घोषित किया गया। इस खिलाड़ी ने ऑलराउंड खेल दिखाकर विश्व के क्रिकेट फैंस का ध्यान अपनी ओर खींचा है।

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तृषा के पिता ने क्रिकेटर बनाने के लिए बेच डाली थी जमीन

आईसीसी अंडर 19 विमेंस T20i वर्ल्ड कप में प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट बनने वाली तृषा ने बचपन में काफी ज्यादा संघर्ष किया है। उनके पिता ने उन्हें एक बेहतर खिलाड़ी बनने के लिए काफी ज्यादा मेहनत की। तृषा के पिता जिम चलाने के अलावा फिटनेस ट्रेनर भी थे। लेकिन बेटी को क्रिकेटर बनने के लिए उन्होंने अपना सब कुछ छोड़ दिया। जब पैसे की दिक्कत हुई, तो उन्होंने अपनी आधी जिम भेज दी और बेटी का सपना पूरा करने के लिए सिकंदराबाद में जा बसे। पैसे की किल्लत न हो, इसके लिए उन्होंने चार बीघा जमीन भी बेच डाली। बेटी ने आखिरकार पिता के संघर्ष का सम्मान रखा और टीम को विश्व चैंपियन बना दिया।

 

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