WTC फाइनल में ऑलराउंडर की जगह को लेकर असमंजस बरकरार है. जडेजा, ठाकुर, सुंदर और नितीश में से किसे मिलेगा मौका? इंग्लैंड की कंडीशन्स में किस पर जताया जाएगा भरोसा?
भारतीय क्रिकेट में बदलाव की शुरुआत 20 जून को लीड्स में टॉस के साथ होगी. कप्तान शुभमन गिल ने कहा है कि विराट कोहली और रोहित शर्मा की कमी पूरी करने का उन पर कोई दबाव नहीं है. बल्लेबाजी क्रम में जगह बनाने की दौड़ में करुण नायर, केएल राहुल और ध्रुव जुरेल जैसे खिलाड़ी आगे निकल चुके हैं. अब बारी है ऑलराउंडर की जगह के लिए, आइए देखते हैं कौन सी संभावनाएं हैं.
रवींद्र जडेजा, शार्दुल ठाकुर, वाशिंगटन सुंदर और नितीश कुमार रेड्डी, ये चार नाम ऑलराउंडर की लिस्ट में शामिल हैं. तनुष कोटियन और अंशुल काम्बोज ने इंग्लैंड लायंस के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन वो अंतिम टीम में जगह नहीं बना पाए. नितीश को छोड़कर बाकी सभी गेंदबाजी ऑलराउंडर हैं, और जडेजा और शार्दुल ही ऐसे हैं जिन्हें इंग्लैंड में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने का अनुभव है. सुंदर और नितीश के लिए यह पहला इंग्लैंड दौरा होगा.
जडेजा इस इंग्लैंड दौरे पर भारतीय टीम के सबसे अनुभवी खिलाड़ियों में से एक हैं. भारत को उनके बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाजी के अनुभव से काफी उम्मीदें होंगी. लेकिन, यह साफ नहीं है कि जडेजा सभी मैच खेलेंगे या नहीं. जडेजा अब तक इंग्लैंड में 12 टेस्ट मैच खेल चुके हैं, जिसमें उन्होंने 21 पारियों में 27 विकेट लिए हैं.
हालांकि, 21 में से आठ पारियों में वो एक भी विकेट नहीं ले पाए थे. ओवल ही एक ऐसा मैदान है जहां जडेजा का दबदबा रहा है. वहां उन्होंने छह पारियों में 15 विकेट लिए हैं. बल्लेबाजी में भी जडेजा का प्रदर्शन अच्छा रहा है. 12 मैचों में उन्होंने 642 रन बनाए हैं, जिसमें एक शतक और तीन अर्धशतक शामिल हैं. इसलिए, जडेजा की मौजूदगी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
अब बात करते हैं नितीश की. बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में मेलबर्न में उन्होंने एक निडर शतक जड़ा था. लेकिन उसके बाद नितीश कोई खास कमाल नहीं दिखा पाए. उस सीरीज की बाकी तीन पारियों में उन्होंने सिर्फ पांच रन बनाए. आईपीएल में भी उनका प्रदर्शन खराब रहा. इंग्लैंड लायंस के खिलाफ दो मैच उनके लिए एक सुनहरा मौका थे.
पहले मैच में, बल्लेबाजी के लिए अनुकूल पिच पर उन्होंने 7 और 52 रन बनाए. दूसरे मैच में नितीश की असली परीक्षा हुई. उन्होंने 34 और 42 रन बनाए, लेकिन दोनों ही पारियां आत्मविश्वास से भरी नहीं थीं. कई बार इन-स्विंग गेंदों पर वो चूक गए और जॉर्ज हिल की गेंद पर आउट हो गए. उन्होंने टेक्स्टबुक स्टाइल में डिफेंस करने की कोशिश की, लेकिन फिर भी बोल्ड हो गए.
इंग्लैंड की पिचें तेज, स्विंग और उछाल वाली होती हैं. इन पिचों पर नितीश के खेलने के तरीके पर दोनों मैचों में सवाल उठे. वो किसी तरह टिके रहे और कई बार उन्हें जीवनदान भी मिला. दोनों मैचों में इस दाएं हाथ के मध्यम गति के गेंदबाज ने दो विकेट लिए. देखना होगा कि भारत इस 22 साल के युवा खिलाड़ी पर कितना भरोसा दिखाता है.
शार्दुल को बाकी फॉर्मेट में जगह नहीं मिलती, लेकिन विदेशी टेस्ट दौरों पर उनका नाम हमेशा चर्चा में रहता है. इंग्लैंड लायंस के खिलाफ तीन पारियों में शार्दुल ने 80 रन बनाए और दो विकेट लिए. घरेलू क्रिकेट में मुंबई के लिए उनके लगातार अच्छे प्रदर्शन से उनका आत्मविश्वास बढ़ा होगा. सबसे खास बात है इंग्लैंड में खेलने का उनका अनुभव.
इंग्लैंड में खेले गए चार टेस्ट मैचों में से तीन में शार्दुल ने अर्धशतक जड़े हैं. ये तीनों अर्धशतक दबाव वाली परिस्थितियों में और महत्वपूर्ण समय पर आए थे. ओवल में उन्होंने दोनों पारियों में 50 रन बनाए थे. गेंदबाजी में उन्होंने चार मैचों में 10 विकेट लिए हैं. नितीश और शार्दुल को जो भी मौके मिलेंगे, देखना होगा कि वो उनका कैसे फायदा उठाते हैं.
एक और संभावना है कि नितीश को बाहर करके जुरेल को मौका दिया जाए. ऐसे में भारत चार तेज गेंदबाजों और एक स्पिनर के साथ मैदान में उतरेगा. अब बात करते हैं वाशिंगटन सुंदर की. इंग्लैंड की परिस्थितियों में दो स्पिनरों के साथ खेलने की संभावना कम ही होती है. भारत का पूरा ध्यान जडेजा पर ही होगा.