सार

Shakambhari Jayanti 2023: धर्म ग्रंथों के अनुसार, पौष मास की पूर्णिमा पर देवी शाकंभरी का जयंती पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 6 जनवरी, शुक्रवार को है। पुराणों में इस पर्व का विशेष महत्व बताया गया है। देवी शाकंभरी का वर्णन कई ग्रंथों में मिलता है।
 

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, जब भी पृथ्वी पर कोई संकट आया, देवी दुर्गा ने अलग-अलग अवतार लेकर उस संकट को दूर किया और अपने भक्तों की रक्षा की। शाकंभरी भी देवी दुर्गा का एक अवतार है। पौष मास की पूर्णिमा पर देवी शाकंभरी (Shakambhari Jayanti 2023) का जयंती पर्व हर साल मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 6 जनवरी, शुक्रवार को है। इस दिन देवी मंदिरों में विशेष साज-सज्जा की जाती है। देवी का एक प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर सहारनपुर से लगभग 40 किमी दूर बेहट तहसील में स्थित है। इसे शक्तिपीठ कहा जाता है। आगे जानिए इस बार शाकंभरी पूर्णिमा पर कौन-कौन से शुभ योग बनेंगे और देवी के अवतार से जुड़ी कथा…

शाकंभरी जयंती पर बनेंगे ये शुभ योग (Shakambhari Jayanti 2023 Shubh Yog)
पौष मास की पूर्णिमा तिथि 5 जनवरी की रात 02:14 से 06 जनवरी की रात 04:37 तक रहेगी। चूंकि पूर्णिमा तिथि का सूर्योदय और चंद्रोदय दोनों 6 जनवरी को होगा, इसलिए पूर्णिमा तिथि इसी दिन मानी जाएगी। इस दिन पद्म, ब्रह्म और इंद्र नाम के शुभ योग दिन भर रहेंगे। इन शुभ योगों के चलते इस तिथि का महत्व और भी बढ़ गया है। 

क्यों लिया देवी ने शाकंभरी अवतार? (Goddess Shakambhari Katha) 
प्रचलित कथा के अनुसार, एक बार पृथ्वीर पर भयंकर अकाल पड़ा। पूरी पृथ्वी सूख गई, पेड़-पौध आदि वनस्पति नष्ट हो गई। सृष्टि नष्ट होने की स्थिति में आ गई तब भक्तों ने देवी से प्रार्थना की। प्रसन्न होकर देवी दुर्गा प्रकट हुई। उनके शरीर पर हजारों आंखें थी। उन आंखों से 9 दिनों तक लगातार पानी बरसता रहे, जिससे पूरे पृथ्वी पर पानी ही पानी हो गया और हरियाली छा गई। शाक यानी वनस्पति उत्पन्न करने से ये देवी शाकंभरी और हजारों आंखें होने से शताक्षी के नाम से प्रसिद्ध हुईं।
मंत्र
शाकंभरी नीलवर्णानीलोत्पलविलोचना।
मुष्टिंशिलीमुखापूर्णकमलंकमलालया।।
अर्थात- देवी शाकंभरी का वर्ण नीला है, उनकी आंखें भी इसी रंग की हैं। कमल का फूल उनका आसन है। इनकी एक मुट्ठी में कमल का फूल दूसरी में बाण होते हैं।

इस विधि से करें देवी शाकंभरी की पूजा (Shakambhari Jayanti Puja Vidhi)
- शाकंभरी जयंती यानी 6 जनवरी की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प करें। इसके बाद घर में किसी स्थान की साफ-सफाई करें और और गंगा जल से पवित्र करें।
- साफ किए गए स्थान पर एक पटिया यानी बाजोट रखें। इसके ऊपर लाल कपड़ा बिछाएं और देवी शाकंभरी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। सबसे पहले देवी को कुमकम से तिलक लगाएं और हार पहनाएं।
- इसके बाद देवी के सामने शुद्ध घी का दीपक लगाएं। अब अबीर, गुलाल, रोली, हल्दी, मेहंदी आदि चीजें देवी को चढ़ाएं। सफेद वस्त्र अर्पित करें। देवी को फलों और सब्जियों का भोग लगाएं। 
- इस तरह विधि-विधान से पूजा करने के बाद देवी की आरती करें और प्रसाद सभी भक्तों को बांट दें। इस तरह देवी शाकंभरी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और धन-धान्य की कमी नहीं आती।


 

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