सार

Sankashti Chaturthi 2022:हिंदू धर्म में किसी भी शुभ काम से पहले भगवान श्रीगणेश की पूजा जरूर की जाती है। श्रीगणेश की कृपा पाने के लिए कई व्रत और उत्सवों का भी विधान बनाया गया है। इनमें से कुछ व्रत हर महीने में किए जाते हैं।
 

उज्जैन. इस बार 11 दिसंबर, रविवार को संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। इसे अखुरथ चतुर्थी भी कहते हैं। इस दिन मूषक पर विराजित भगवान श्रीगणेश की पूजा का विशेष महत्व माना गया है। (Sankashti Chaturthi December 2022) संकष्टी चतुर्थी का अर्थ है संकट को दूर करने वाली चतुर्थी। संकष्टी संस्कृत भाषा का शब्द है। ये व्रत प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। इस व्रत को करने से परेशानियां तो दूर होती ही हैं, साथ ही हर शुभ फल भी प्राप्त होते हैं। आगे जानिए संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि, महत्व, आरती व अन्य खास बातें…

संकष्टी चतुर्थी पर बनेंगे ये शुभ योग (Sankashti Chaturthi December 2022 Shubh Yog)
पौष कृष्ण संकष्टी चतुर्थी तिथि 11 दिसंबर, रविवार की शाम 04:15 से 12 दिसंबर, सोमवार की शाम 06:49 तक रहेगी। चूंकि संकष्टी चतुर्थी का व्रत चंद्रोदय तिथि के आधार पर किया जाता है, इसलिए ये व्रत 11 दिसंबर, रविवार को ही किया जाएगा। इस दिन ध्वजा, श्रीवत्स, ब्रह्म, इंद्र, सर्वार्थसिद्धि और रवि पुष्य नाम के 6 शुभ योग बनेंगे।

संकष्टी चतुर्थी व्रत विधि (Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)
- 11 दिसंबर, रविवार की सुबह शुद्ध होकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर कुछ खाए-पिएं नहीं। अगर ऐसा करना संभव न हो तो फलाहार कर सकते हैं।
- शाम को शुभ मुहूर्त में घर में किसी साफ स्थान पर एक चौकी स्थापित करें और उसके ऊपर श्रीगणेश का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें। 
- इसके बाद दीपक व अगरबत्ती जलाएं। श्रीगणेश को तिलक करें। हार-फूल चढ़ाएं। इसके बाद अबीर, गुलाल, रोली आदि चीजें भी चढ़ाते रहें। 
- हल्दी लगी दूर्वा भी अर्पित करें और लड्डूओं का भोग लगाकर आरती करें। चंद्रमा के उदय होने पर पानी से अर्घ्य दें और अपना व्रत पूर्ण करें। 

श्रीगणेशजी की आरती (Lord Ganesh Aarti)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥


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