Bahuda Yatra 2025 Date: भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन बहुड़ा यात्रा के बारे में कम ही लोगों को पता है। 8 दिन गुंडिचा मंदिर में रुकने के बाद जब भगवान जगन्नाथ पुन: अपने मंदिर लौटते हैं तो इसे बहुड़ा यात्रा कहते हैं। 

Kab Hai Bahuda Yatra: उड़ीसा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर विश्व प्रसिद्ध हैं। ये मंदिर हिंदुओं के पवित्र चार धामों में से एक है। इस मंदिर से जुड़े अनेक रहस्य हैं जो आज भी वैज्ञानिकों के लिए चुनौती बने हुए हैं। इस मंदिर से जुड़ी अनेक परंपराएं भी इसे खास बनाती हैं। ऐसी ही एक परंपरा है यहां हर साल निकलने वाली रथयात्रा, जिसे देखने के लिए यहां लाखों लोग आते हैं। जगन्नाथ रथयात्रा का उत्सव 9 दिनों तक चलता है। इस दौरान बहुड़ा यात्रा भी निकाली जाती है। जानें क्या है बहुड़ा यात्रा और इस बार कब निकलेगी?

क्या है बहुड़ा यात्रा?

यहां हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है। इस बार ये रथयात्रा 27 जून को निकाली गई। इस यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ गुंडिचा मंदिर पहुंचते हैं, जिसे उनकी मौसी का घर भी कहा जाता है। यहां भगवान जगन्नाथ 8 दिन रूकते हैं और आषाढ़ शुक्ल दशमी तिथि को पुन: अपने घर यानी मुख्य मंदिर रथ में बैठकर आते हैं। भगवान जगन्नाथ की वापसी की इस यात्रा को बहुड़ा यात्रा कहते हैं। इसे देखने के लिए भी यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है।

कब है बहुड़ा यात्रा 2025?

इस बार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 5 जुलाई, शनिवार को है। इसी दिन भगवान जगन्नाथ भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अपने-अपने रथों में बैठकर पुन: अपने घर यानी मुख्य मंदिर की ओर यात्रा करेंगे। बहुड़ा यात्रा का भी विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। बहुड़ा यात्रा को कार वापसी उत्सव भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि भक्त अपने भगवान को घर आता देख बहुत खुश होते हैं।

रथयात्रा के बाद रथों का क्या होता है?

हर साल भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के लिए नए रथ बनाए जाते हैं। ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि हर साल रथयात्रा के बाद इन रथों का क्या होता है? मंदिर प्रबंधन के अनुसार, रथयात्रा के बाद इन तीनों रथों को तोड़ दिया जाता है, ये काम इन्हें बनाने वाले कारपेंटर ही करते हैं। इन रथों की कुछ लकड़ियों को भक्त ले जाते हैं वही कुछ लकड़ियों का उपयोग जगन्नाथ मंदिर की रसोई भी ईंधन के रूप में कर लिया जाता है। इस बात का ध्यान रखा जाता है कि किसी भी रूप में इन रथों की लकड़ियों का दुरुपयोग न हो।


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इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।