सार
मैसूरु: हज़ार साल पहले खोया हुआ माना जाने वाला असली सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का पवित्र अवशेष अब फिर से मिल गया है। यह एक ऐतिहासिक और यादगार पल है। लिंग के रूप में बने इस दिव्य अवशेष को मैसूरु शहर लाया जाएगा। मंगलवार, 6 मई 2025 को शाम 6 बजे से जे.एस.एस. आयुर्वेद कॉलेज के पास आर्ट ऑफ लिविंग आश्रम में भक्तगण सोमनाथ के दर्शन कर सकते हैं और दिव्य स्पंदनों का अनुभव कर सकते हैं। प्रवेश सबके लिए खुला है। दर्शन के बाद प्रसाद वितरण किया जाएगा।
हज़ार साल बाद यह अवशेष कैसे मिला?
1026 ईस्वी में महमूद ग़ज़नवी द्वारा सोमनाथ मंदिर के विनाश के बाद, कुछ अग्निहोत्री ब्राह्मण मूल सोमनाथ लिंग के अवशेषों को अपने साथ तमिलनाडु ले गए और हज़ार साल तक गुप्त रूप से उसकी रक्षा की। पीढ़ी दर पीढ़ी पंडित सीताराम शास्त्री के परिवार ने अत्यंत भक्ति के साथ सोमनाथ के पवित्र अवशेषों की रक्षा की।
कांची शंकराचार्य ने शास्त्री जी को निर्देश दिया, "इसे बेंगलुरु में गुरुदेव श्री श्री रविशंकर के पास ले जाओ। वे तुम्हारी मदद करेंगे।" अब मैसूरु के निवासी अनंत शक्ति, पवित्रता और आशीर्वाद से भरे इस दिव्य लिंग के दर्शन का लाभ उठा सकते हैं।
इस साल जनवरी 2025 में, आर्ट ऑफ लिविंग इंटरनेशनल सेंटर में हजारों भक्तों के सामने गुरुदेव ने पवित्र ज्योतिर्लिंग का अनावरण किया। गुरुदेव ने लिंग को हाथ में लेकर उसकी अद्भुत चुंबकीय शक्ति सभी को दिखाई।
2007 में 1000 साल पुराने सोमनाथ ज्योतिर्लिंग पर एक भूगर्भीय अध्ययन किया गया था। इस अध्ययन में पाया गया कि इस लिंग में सामान्य भौतिकी से परे चुंबकीय गुण हैं।
इस महाशिवरात्रि पर आश्रम में सभी भक्तों को एक दुर्लभ अवसर प्रदान किया गया था। उन्होंने बेंगलुरु के आर्ट ऑफ लिविंग आश्रम में जाकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन किए। अब यह अवसर मैसूरु के लोगों को मिल रहा है।