सार

Maghi Purnima Katha: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। इस तिथि पर अनेक त्योहार भी मनाए जाते हैं। माघ मास की पूर्णिमा बहुत शुभ फल देने वाली मानी गई है।

 

Kab Hai Maghi Purnima 2025: धर्म ग्रंथों के अनुसार माघ मास की पूर्णिमा पर पवित्र नदी में स्नान और जरूरतमंदों को दान करने का विशेष महत्व है। इस बार माघ मास की पूर्णिमा 12 फरवरी, बुधवार को है। इस दिन प्रयागराज महाकुंभ 2025 में पांचवां स्नान भी किया जाएगा और कल्वपास भी समाप्त होगा। माघी पूर्णिमा से जुड़ी एक कथा भी है। जो लोग माघी पूर्णिमा का व्रत करते हैं, उनके लिए ये कथा सुनना बहुत जरूरी है, इसे सुने बिन व्रत का पूरा फल नहीं मिलता। जानें माघी पूर्णिमा की कथा…

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ये है माघी पूर्णिमा की कथा (Story Of Maghi Purnima)

- पद्म पुराण के अनुसार, एक बार गलती से भगवान विष्णु के पैर के नीचे एक बिच्छू आ गया। अपने बचाव के लिए बिच्छु ने भगवान को डंक मार दिया और श्रीहरि के पैर के नीचे दबने से बिच्छू की अकाल मृत्यु हो गई। बिच्छू के मरने से भगवान विष्णु का मन बहुत विचलित हो गया।

- बिच्छू की मृत्यु का दुख श्रीहरि को परेशान कर रहा था। तभी वहां देवर्षि नारद आए और पूरा बात जानकर उन्होंने भगवान श्रीहरि से कहा ‘आप माघ पूर्णिमा पर पृथ्वी पर जाएं और वहां जाकर गंगा में स्नान करें, इससे आपके मन की सारी पीड़ा दूर होगी और जीव हत्या का पाप भी नहीं लगेगा।’

- नारद की बात मानकर श्रीहरि रूप बदलकर माघ पूर्णिमा पर गंगा में स्नान करने आए। स्नान के बाद उन्होंने ऋषि मुनियों को दान-दक्षिणा भी दी। ऐसा करने से उन्हें उन्हें जीव हत्या के दोष से मुक्ति मिली। तभी से माघ पूर्णिमा पर गंगा नदी में स्नान की परंपरा शुरू हुई, जो आज भी जारी है।

- मान्यता है कि आज भी माघ पूर्णिमा पर भगवान विष्णु रूप बदलकर गंगा स्नान के लिए संगम तट पर आते हैं। इसलिए इस दिन गंगा तटों पर मेले भी आयोजित होते हैं। गंगा के अलावा अन्य पवित्र नदियों पर भी श्रद्धालु स्नान करने पहुंचते हैं। जो लोग माघी पूर्णिमा का व्रत करते हैं, उन्हें ये कथा जरूर सुननी चाहिए।


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