सार

Sita Ashtami 2025: 20 फरवरी, गुरुवार को सीता अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। मान्यता है कि इसी तिथि पर देवी सीता धरती से प्रकट हुई थीं। देवी सीता से जुड़ी अनेक रोचक बातें धर्म ग्रंथों में बताई गई हैं।

 

Sita Ashtami 2025 Details: हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को सीता अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 20 फरवरी, गुरुवार को मनाया जाएगा। मान्यता है कि इसी तिथि पर देवी सीता धरती से प्रकट हुई थीं। देवी सीता साक्षात देवी लक्ष्मी का अवतार थीं। देवी लक्ष्मी से जुड़ी अनेक ऐसी रोचक बातें हैं, जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं। आगे जानिए देवी सीता से जुड़ी ये रोचक बातें…

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कितने दिन लंका में रहीं देवी सीता?

देवी सीता कितने दिन लंका में रहीं, इसे लेकर विद्वानों का अलग-अलग मत है। कुछ का मानना है कि देवी सीता कुल 435 दिन लंका में रही, वहीं कुछ का कहना है कि 11 माह और 14 दिन देवी सीता ने लंका में बिताए। दोनों मतों के पीछे अपने-अपने तर्क हैं।

लंका में देवी सीता ने क्या खाया?

वाल्मीकि रामायण के अनुसार, जब रावण ने देवी सीता का हरण कर लिया और उन्हें लंका ले गया तो उसी रात देवराज भी लंका की अशोक वाटिका में पहुंचें और उन्होंने दिव्य औषधी युक्त खीर देवी को खिलाई। इस खीर से देवी सीता जितने भी दिन लंका में रहीं, उन्हें तो भूख लगी और न प्यास।

सीता ही क्यों रखा राजा जनक ने अपनी पुत्री का नाम?

वाल्मीकि रामायण के अनुसार, त्रेतायुग में जब एक बार मिथिला के राजा जनक एक यज्ञ के दौरान खेत में हल चल रहा थे। उसी दौरान उनका हल जमीन के अंदर एक कलश से टकराया। राजा जनक ने जब वो कलश निकालकर देखा तो उसमें एक छोटी कन्या थी। राजा जनक ने उसे अपनी पुत्री माना। हल की नोक को सीत कहते हैं, इसलिए राजा जनक ने उस कन्या का नाम सीता रखा। जनक की पुत्री होने से वे जानकी कहलाई। वहीं मिथिला की राजकुमारी होने के कारण ही देवी सीता को मिथिलेशकुमारी भी कहा जाता है।


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इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो ज्योतिषियों द्वारा बताई गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।