Sawan 2025: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अनेक मंत्रों की रचना की गई है। इनमें से कुछ मंत्र बहुत ही चमत्कारी हैं, जिनके जाप करने से बड़े से बड़ा संकट भी टल जाता है। सावन में अगर इन मंत्रों का जाप किया जाए तो और भी ज्यादा शुभ फल मिलता है।
Shiv Mantra: सावन मास 11 जुलाई से शुरू हो चुका है। इस महीने में भगवान शिव की भक्ति का विशेष महत्व है। सावन मास में यदि रोज भगवान शिव के मंत्रों का विधि-विधान से जाप किया जाए तो हर तरह की परेशानी दूर हो सकती है। भगवान शिव के कुछ मंत्र तो बहुत ही शक्तिशाली हैं। इनके जाप करने से बड़े से बड़े संकट भी टल जाता है। विद्वानों की माने तो महामृत्यंजय मंत्र के जाप से तो मौत को भी मात दी जा सकती है। आगे जानिए भगवान शिव के 10 सबसे शक्तिशाली मंत्र और उनके अर्थ…
1. महामृत्युंजय मंत्र
ऊं त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
अर्थ- हम भगवान शिव की पूजा करते हैं, जो त्रिनेत्रधारी हैं। ये ही हर श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं और पूरे जगत का पालन-पोषण करते हैं। ये हमें मृत्यु के बंधन से मुक्त कर अमरता प्रदान करें।
2. शिव गायत्री मंत्र
ऊं तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
अर्थ - हम उस परम पुरुष, महादेव का ध्यान करते हैं, जो रुद्र रूप में हैं। वह रुद्र हमें प्रेरित करें।
3. द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालं ओंकारं ममलेश्वरम्॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥
अर्थ: सौराष्ट्र में सोमनाथ, श्रीशैल पर मल्लिकार्जुन, उज्जैन में महाकाल, ओंकारेश्वर में ममलेश्वर, परली में वैद्यनाथ, डाकिनी में भीमशंकर, सेतुबंध में रामेश्वर, दारुकावन में नागेश्वर, वाराणसी में विश्वेश्वर, गौतमी के तट पर त्र्यम्बकेश्वर, हिमालय में केदार और शिवालय में घुश्मेश्वर। जो व्यक्ति इन ज्योतिर्लिंगों का सुबह-शाम पाठ करता है, उसके सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।
4. बिल्व पत्र चढ़ाने का मंत्र
दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनं पापनाशनम् |
अघोरपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ||
अर्थ- बिल्वपक्ष के दर्शन और स्पर्श करने से सभी पापों का नाश हो जाता है। अपने पापों को नष्ट करने के लिए ये बिल्व पत्र में भगवान शिव को अर्पण करता हूं।
5. अघोर मंत्र
सर्वेभ्यः सर्व सर्वेभ्यो नमस्तेऽस्तु रुद्र रूपेभ्यः।।
अर्थ - ऊं अघोर (जो अघोर नहीं हैं) को, और जो घोर हैं, उनसे भी घोरतर को, सभी को, सब कुछ, सबके लिए, रुद्र (भगवान शिव) के सभी रूपों को नमस्कार।
6. लघु रुद्र मंत्र
ऊं नमो भवाय शर्वाय रुद्राय वरदाय च।
पशुनां पतये नित्यं उग्राय च कपर्दिने॥
अर्थ- सबकी उत्पत्ति करने वाले, सर्व संहारकारी, दुख दूर करने वाले, सभी जीवों के पालक, सदा उग्र रहने वाले, जटाजूटधारी भगवान शिव को मेरा नमस्कार है।
7. शिवजी का ध्यान मंत्र
करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसंवापराधं ।
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥
अर्थ- अर्थ- सभी तनाव, अस्वीकृति, विफलता, अवसाद और अन्य नकारात्मक शक्तियों का सामना करने वाले शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करने के लिए सर्वोच्च एक को समर्पित करें।
8. तेज बुद्धि के लिए शिव मंत्र
ऊं नमो भगवते दक्षिणामूर्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा
अर्थ- हे भगवान दक्षिणामूर्ति, मैं आपको नमन करता हूँ, मुझे बुद्धि और विवेक प्रदान करें।
9. शिव मंत्र
मृत्युञ्जयाय रुद्राय नीलकन्ताय शंभवे
अमृतेषाय सर्वाय महादेवाय ते नमः
अर्थ- हे भगवान आपने मृत्यु पर विजय प्राप्त की है, आप ही ब्रह्मांड का निर्माण और विनाश करते हैं। आप नीलकंठ हैं क्योंकि आपने विष पीया है। हे महादेव हम आपको नमस्कार करते हैं।
10. पंचाक्षर मंत्र
ऊं नमः शिवाय:
अर्थ- मैं भगवान शिव को नमन करता हूं।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।