सार
mahashivaratri 2025 Upay: महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा का विशेष फल मिलता है। इस दिन यदि शिव चालीसा का पाठ किया जाए तो बिगड़े काम भी बन सकते हैं।
Shiv chalisa lyrics: 26 फरवरी, बुधवार को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाएगा। इस दिन भक्त अलग-अलग उपायों से महादेव को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। इस दिन यदि शिव चालीसा का पाठ पूरी श्रद्धा और भक्ति से किया जाए तो बिगड़े हुए हर काम बन सकते हैं। ये उपाय करनेस में 10 मिनिट से ज्यादा समय नहीं लगता। आगे जानें शिव चालीसा लिरिक्स हिंदी में पाठ करने से सही तरीका…
ये हैं भगवान शिव की 10 सबसे ऊंची प्रतिमाएं, 1 तो कुतुब मीनार से भी बड़ी
शिव चालीसा लिरिक्स हिंदी में (Shiv chalisa lyrics In Hindi)
दोहा
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥
चौपाई
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥
मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
मात-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु मम संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदा हीं। जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पर होत है शम्भु सहाई॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र हीन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥
दोहा
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
इस विधि से करें शिव चालीसा का पाठ
- महाशिवरात्रि की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और साफ कपड़े पहनकर शिव चालीसा पाठ करने का संकल्प लें। यदि मन में कोई इच्छा हो तो संकल्प में वो भी बोलें।
- सबसे पहले भगवान शिवजी की पूजा करें। भगवान की प्रतिमा या चित्र को फूल माला पहनाएं, शुद्ध घी का दीपक जलाएं। बिल्व पत्र, धतूरा आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाएं।
- भगवान के चित्रके सामने एक आसन पर बैठकर शिव चालीसा का पाठ शुरू करें। बिना रूके सच्चे मन से ये पाठ करते रहें। शिव चालीसा पाठ के दौरान दीपक जलते रहना चाहिए।
- महाशिवरात्रि पर इस तरह शिव चालीसा का पाठ करने से बड़े से बड़ा संकट भी टल सकता है और बिगड़े काम काम बन सकते हैं।
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