नरक चतुर्दशी न केवल अंधकार पर प्रकाश की विजय का उत्सव है, बल्कि मृत्यु के देवता यमराज को याद करने और उनकी पूजा करने का भी दिन है। इस दिन दीप जलाना और किए गए अनुष्ठान घर में सुरक्षा और समृद्धि की गारंटी माने जाते हैं।
Narak Chaturdashi 2025: सनातन धर्म में हर त्यौहार का एक विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। साल भर कई व्रत और त्योहार आते हैं, जिनमें नरक चतुर्दशी भी शामिल है। नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दिवाली और रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है, विशेष उत्साह के साथ मनाई जाती है। यह अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है।
इतना ही नहीं, यह दिन हमें जीवन और मृत्यु के गूढ़ रहस्यों की भी याद दिलाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। आइए जानें कि इस दिन यमराज की पूजा क्यों महत्वपूर्ण है।
यमराज की पूजा का महत्व
नरक चतुर्दशी पर मृत्यु के देवता यमराज की विशेष पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि नरक चतुर्दशी पर यमराज की पूजा और स्मरण करने से मृत्यु का भय कम होता है। यह जीवन में दीर्घायु और समृद्धि भी लाता है। नरक चतुर्दशी केवल यमराज की पूजा तक ही सीमित नहीं है। यह पर्व जीवन की सुरक्षा, पारिवारिक सुरक्षा और मानसिक शांति का भी प्रतीक माना जाता है।
आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति
इस दिन यमराज की पूजा करने से आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। इसीलिए इस दिन यमराज की विशेष पूजा की जाती है। नरक चतुर्दशी के दिन शाम के समय गेहूं के आटे से एक दीपक बनाना चाहिए। चार छोटी और बड़ी बत्तियां बनाकर दीपक में रखनी चाहिए।
दक्षिण दिशा की ओर मुख करके दीपक जलाएं
इसके बाद दीपक में सरसों का तेल डालें और उसके चारों ओर गंगाजल छिड़कें। फिर घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके दीपक जलाएं। दीपक के नीचे थोड़ा सा अनाज रखना चाहिए। इस प्रकार दीपक जलाने से घर में अकाल मृत्यु टलती है, मां लक्ष्मी की कृपा होती है और परिवार में समृद्धि आती है।
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