Sutak Ke Niyam: प्रसिद्ध कथावाचक मोरारी बापू सूतक के दौरान मंदिर में दर्शन करने और शिव कथा करने को लेकर संतों के निशाने पर है। मुरारी बाबू के माफी मांगने के बाद ये विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा।
morari bapu controversy: मोरारी बापू देश के प्रसिद्ध कथावाचकों में से एक है लेकिन वे किसी न किसी वजह से साधु-संतों के निशाने पर बने रहते थे। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है। पत्नी के मृत्यु के बाद मोरारी बापू ने न सिर्फ काशी स्थित बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए बल्कि शिव कथा भी की। शंकराचार्य आदि संतों का कहना है कि परिवार में किसी की मृत्यु होने पर सूतक लगता है और इस दौरान मंदिर में प्रवेश करना व कथा कहना हिंदू धर्म के नियमों के विरुद्ध है। माफी मांगने के बाद भी साधु-संत लगातार मोरारी बापू का विरोध कर रहे हैं।
क्या है पूरा मामला?
मोरारी बापू की पत्नी नर्मदाबा की मृत्यु पिछले दिनों 12 जून को हुई थी। इसके 2 दिन बाद ही यानी 14 जून को वे काशी आए। यहां उन्होंने 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए। इतना ही नहीं उन्होंने यहां कथा की शुरूआत भी की। जब साधु-संतों को इस बात का पता चला तो उन्होंने इसका विरोध किया क्योंकि परिवार में जब किसी की मृत्यु होती है तो सूतक लगता है। इस दौरान मंदिर में प्रवेश आदि धार्मिक कार्य करने की मनाही होती है। विवाद बढ़ने पर मोरारी बापू ने माफी मांगी लेकिन इसके बाद भी ये विवाद खत्म नहीं हो रहा है।
क्या होता है सूतक?
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, गरुड़ पुराण आदि धर्म ग्रंथों में सूतक के बारे में विस्तार से बताया गया है। सूतक को पातक और अशौच काल भी कहते हैं। जब परिवार में शिशु का जन्म होता है या किसी की मृत्यु होती है तो सूतक माना जाता है। मृत्यु के कारण लगने वाले सूतक को मृत्यु सूतक भी कहते हैं। इसकी अवधि 13 दिनों की होती है। सूतक के दौरान बहुत से काम करने की मनाही होती है क्योंकि ऐसा माना जाता है सूतक के कारण उस परिवार के लोग 13 दिनों के लिए अशुद्ध हो जाते हैं।
किन लोगों पर लगता है सूतक?
गरुड़ पुराण के अनुसार, जिस परिवार में किसी का जन्म या मृत्यु हुई हो, उस गौत्र के सभी लोगों पर सूतक का नियम लागू होता है चाहे वो दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न हो। सूतक की गणना उस दिन की जाती है, जिस दिन मृतक का अंतिम संस्कार होता है। कुछ मामलों में 7 तो कुछ में 3 दिन का सूतक माना जाता है। विशेष परिस्थिति में तो सिर्फ स्नान करने से ही सूतक का निवारण हो जाता है।
सूतक के दौरान कौन-से काम नहीं करने चाहिए?
1. गरुड़ पुराण व अन्य धर्म ग्रंथों के अनुसार, सूतक के दौरान पूजा-पाठ, मंदिर में प्रवेश, मंत्र जाप आदि नहीं करना चाहिए। यहां तक कि तुलसी के दीपक भी नहीं लगाना चाहिए।
2. सूतक के दौरान अपने परिवार के अलावा किसी अन्य व्यक्ति के घर में प्रवेश करने से भी बचना चाहिए।
3. सूतक में परिवार के सभी लोगों को सात्विक भोजन करना चाहिए यानी मसालेदार भोजन नहीं करना चाहिए।
4. जो व्यक्ति मृतक का दाह संस्कार करता है उसे सूतक के दौरान घर से अधिक देर तक बाहर नहीं रहना चाहिए और सादे कपड़े पहनना चाहिए।
5. सूतक में क्षौर कर्म यानी बाल कटवाने, नाखून काटने की भी मनाही होती है।
6. सूतक के दौरान किसी भी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश आदि में शामिल नहीं होना चाहिए।
किन लोगों पर लागू नहीं होता सूतक?
विद्ववानों के अनुसार, कुछ लोगों पर सूतक का प्रभाव नहीं माना जाता, इनमें साधु- संन्यासी आदि शामिल होते हैं। साधु-संन्यासी स्वयं को भगवान को समर्पित कर चुके होते हैं और समाज हित में काम करते हैं इसलिए उन पर सूतक का नियम लागू नहीं होता। इनके अलावा नागा संन्यासी जो स्वयं का पिंडदान कर चुके होते हैं, उन पर भी सूतक नहीं लगता।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।