Teja Dashami 2025 Date: इस बार तेजा दशमी का पर्व सितंबर 2025 में मनाया जाएगा। तेजाजी महाराज कौन थे, इनकी पूजा क्यों की जाती है? इसके बारे में कम ही लोगों को पता है। जानें 2025 में कब है तेजा दशमी?
Kab Hai Teja Dashami 2025: हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को तेजा दशमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 2 सितंबर, मंगलवार को मनाया जाएगा। वैसे तो ये पर्व पूरे देश में मनाया जाता है लेकिन राजस्थान और मध्य प्रदेश आदि कुछ प्रदेशों में इसकी विशेष मान्यता है। इस दिन तेजाजी के मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है और मेले भी लगते हैं। तेजाजी को रंग-बिरंगी छतरियां भक्त चढ़ाते हैं। तेजाजी महाराज कौन थे, इनकी पूजा क्यों की जाती है? आगे जानिए पूरी डिटेल…
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कौन थे तेजाजी महाराज?
- प्रचलित कथा के अनुसार, तेजाजी महाराज राजस्थान के लोक देवता हैं। इनका जन्म राजस्थान के नागौर जिले के खरनाल गाँव में हुआ था। तेजाजी बचपन से ही वीर थे और दूसरों की मदद के लिए तैयार रहते थे।एक दिन तेजाजी जी महाराज अपनी बहन को लेने उसके ससुराल गए।
- बहन के घर डार उन्हें जाकर उन्हें पता चला कि कुछ डाकू उनकी बहन की गायें लूटकर ले जा रहे हैं। ये जानते ही वे डाकुओं की खोज में निकल पड़े। रास्ते में तेजाजी महाराज को भाषक नाम का एक महाभयंकर सर्प मिला। वो तेजाजी महाराज को काटना चाहता था।
- तब तेजाजी ने उससे कहा कि ‘इस समय मुझे जाने दो। बहन की गायों को छुड़ाकर मैं स्वयं आपके पास आ जाऊंगा, तब आप मुझे डंस लेना।’ तेजाजी की बात सुनकर भाषक सर्प ने उन्हें वहां से जाने दिया। इसके बाद तेजाजी ने डाकुओं को हराकर उनसे अपनी बहन की गाएं छुड़ा लीं।
- गायों को बहन के घर छोड़कर तेजाजी महाराज भाषक सर्प के पास पहुचें। डाकुओं से युद्ध करने से तेजाजी के शरीर पर चोट के कई निशान थे। तेजाजी की ऐसी हालत देखकर भाषक सांप ने कहा ‘तुम्हारा तो पूरा शरीर खून से अपवित्र हो चुका है। ऐसी स्थिति में मैं तुम्हें कहां काटूं?’
- तब तेजाजी ने अपनी जीभ निकालकर उस पर काटने को कहा। तेजाजी की वचनबद्धता देखकर भाषक सर्प ने उन्हें आशीर्वाद दिया और कहा ‘जो व्यक्ति सर्पदंश से पीड़ित होकर तुम्हारे नाम का धागा बांधेगा उस पर जहर का असर नहीं होगा।’ ऐसा कहकर भाषक सर्प ने उनकी जीभ पर काट लिया।
- तभी से तेजाजी महाराज को लोकदेवता को रूप में पूजा जा रहा है। हर साल तेजा दशमी पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु इनकी पूजा करते हैं। जिन लोगों ने सर्पदंश से बचने के लिए तेजाजी के नाम का धागा बांधा होता है, वे मंदिर में पहुंचकर धागा खोलते हैं और छतरी चढ़ाकर पूजा करते हैं।