Jagannath Rath Yatra 2025: इस बार उड़ीसा के पुरी में जगन्नाथ रथयात्रा 27 जून से शुरू होगी। इस रथयात्रा में लाखों लोग शामिल होंगे। इस रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा का रथ भी होता है।

Interesting facts about Jagannath Rath Yatra: हर साल आषाढ़ मास में भगवान जगन्नाथ की प्रसिद्ध रथयात्रा निकाली जाती है। इस बार जगन्नाथ रथयात्रा की शुरूआत 27 जून से होगी। भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकालने की परंपरा बहुत पुरानी है। इस रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा का रथ भी होता है। भगवान जगन्नाथ का रथ बहुत ही खास तरीके तैयार किया जाता है। इस रथ से जुड़ी ऐसी अनेक बातें हैं जो आमलोग नहीं जानते, आगे जानिए इस रथ से जुड़े 10 रोचक फैक्ट…

किस लकड़ी से बनता है भगवान जगन्नाथ का रथ?

भगवान जगन्नाथ के रथ को बनाने के लिए नारियल की लकड़ी का उपयोग किया जाता है क्योंकि ये लकड़ियों से हल्की होती है। इस रथ में 16 पहिए होते हैं जिनकी ऊंचाई साढ़े 13 मीटर होती है। इस रथ को ढंकने में लगभग 1100 मीटर कपड़े का इस्तेमाल होता है।

क्या है भगवान जगन्नाथ के रथ का नाम?

भगवान जगन्नाथ के रथ के कईं नाम हैं जैसे गरुड़ध्वज, नंदीघोष व कपिध्वज आदि। इस रथ के सारथी का नाम दारुक है। इस रथ में जो 5 घोड़े जुते होते हैं, उनके नाम बलाहक, शंख, श्वेत और हरिदाश्व है। इन सभी घोड़ों का रंग सफेद होता है। रथ के रक्षक पक्षीराज गरुड़ है।

किस रंग का होता है भगवान जगन्नाथ का रथ?

भगवान जगन्नाथ के रथ का रंग लाल और पीला होता है, जिससे ये दूर से ही पहचाना जा सकता है। इसका आकार बलभद्र और सुभद्रा के रथ से थोड़ा बड़ा होता है। भगवान जगन्नाथ के रथ पर हनुमानजी और नृसिंह का चिह्न होता है। साथ ही रथ पर सुदर्शन स्तंभ भी होता है। ये रथ की रक्षा का प्रतीक है।

भगवान जगन्नाथ के रथ की ध्वजा का क्या नाम है?

भगवान जगन्नाथ के रथ की ध्वजा यानी झंडे को त्रिलोक्यवाहिनी कहते हैं। इस रथ को जिस रस्सी से खींचा जाता है वह शंखचूड़ नाम से जानी जाती है। भगवान जगन्नाथ के रथ का शिखर का रंग भी लाल और हरा ही होता है।

कितनी ऊंचा होता है भगवान जगन्नाथ का रथ?

भगवान जगन्नाथ के रथ की ऊंचाई लगभग 44.2 फीट होती है। खास बात ये है कि इसे बनाने में किसी भी तरह की धातु का उपयोग नहीं होता। ये पूरा रथ विभिन्न तरह की लकड़ियों से बनाया जाता है। इस रथ को बनाने का काम अक्षय तृतीया तिथि से ही शुरू हो जाता है।


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