Mahakal Sawari Ujjain 2025: मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहां सावन मास में भगवान महाकाल की सवारी निकाली जाती है, जिसे देखने लाखों लोग यहां आते हैं।
Mahakal Sawari 2025 Dates: मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित भगवान महाकाल का मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। ये मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में तीसरे स्थान पर आता है। महाकाल मंदिर से जुड़ी कईं परंपराएं इसे और भी खास बनाती हैं। हर साल सावन और भादौ मास में भगवान महाकाल की सवारी निकाली जाती है, जिसे देखने के लिए लाखों लोग यहां आते हैं। सवारी में भगवान महाकाल चांदी की पालकी में बैठकर शहर के प्रमुख मार्गों से निकलते हैं। सवारी में बैंड-बाजों के साथ भजन मंडली, हाथी, सशस्त्र पुलिस बल और झांकियां होती हैं। जानें 2025 में भगवान महाकाल की कितनी सवारी निकलेगी…
कब से शुरू होगा सावन 2025? (Sawan 2025 Start Dates)
पंचांग के अनुसार, इस बार सावन मास की शुरूआत 11 जुलाई, शुक्रवार से होगी और पहला सोमवार 14 जुलाई को आएगा। सावन मास के प्रत्येक सोमवार के साथ ही भादौ मास के प्रथम 2 सोमवार को भी भगवान महाकाल की सवारी निकालने की परंपरा है।
भगवान महाकाल की कितनी सवारी निकलेगी 2025 में?
महाकाल मंदिर समिति के अनुसार इस बार भगवान महाकाल की कुल 6 सवारी निकलेगी, इसमें से 4 सवारी सावन मास में और 2 भादौ मास में निकाली जाएगी। भादौ मास की दूसरी सवारी जिसे शाही सवारी भी कहते हैं बहुत खास होती है। इस दिन सवारी का मार्ग में थोड़ा लंबा होता है और पूरे शहर को दुल्हन की तरह सजाकर भगवान महाकाल का स्वागत किया जाता है।
नोट करें महाकाल सवारी 2025 की डेट्स
पहली सवारी- 14 जुलाई
दूसरी सवारी 21 जुलाई
तीसरी सवारी- 28 जुलाई
चौथी सवारी- 4 अगस्त
पांचवी सवारी- 11 अगस्त
छठी सवारी- 18 अगस्त
क्यों निकालते हैं भगवान महाकाल की सवारी?
लोक मान्यता के अनुसार, उज्जैन के लोग भगवान महाकाल को अपना राजा मानते हैं। ऐसा कहते हैं सावन में भगवान महाकाल राजा के रूप में पालकी में बैठकर अपना प्रजा का हाल-चाल जानने शहर में निकलते हैं और भक्तों को दर्शन देते हैं। सवारी निकालने का एक कारण ऐसा भी माना जाता है कि कईं वजहों से लोग मंदिर में जाकर भगवान महाकाल के दर्शन नहीं कर पाते। सवारी के दौरान वे भी आसानी से अपने राजा और भगवान के दर्शन कर लेते हैं। भगवान महाकाल की सवारी निकालने की पंरपरा सिंधिया राजवंश द्वारा शुरू की गई थी, जिससे लोगों में महाकाल की प्रति आस्था बनी रहे।