Hindu Tradition For Tilak: तिलक लगाना सौभाग्य का निशानी माना जाता है। हम स्वयं के मस्तक पर रोज तिलक लगाते ही हैं। साथ ही पूजा-पाठ में भगवान को और विशेष अवसरों पर मेहमानों को भी तिलक लगाने की परंपरा हिंदू धर्म में है।

Tilak Lagane Ke Niyam: हिंदू धर्म तिलक लगाने की परंपरा सदियों पुरानी है। भगवान को पूजा करते समय तिलक लगाया जाता है। विशेष अवसरों पर मेहमानों को भी तिलक लगाते हैं और स्वयं के मस्तक पर तो रोज तिलक लगाते हैं। लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि भगवान को, मेहमान को और स्वयं को अलग-अलग अंगुली से तिलक लगाना चाहिए। तभी इस तिलक का महत्व होता है। आगे जानिए किसे किस अंगुली से लगाएं तिलक…

भगवान को किस अंगुली से लगाएं तिलक?

विद्वानों के अनुसार, यदि भगवान को तिलक लगाना हो तो सदैव अनामिक अंगुली का उपयोग करना चाहिए। अनामिका अंगुली को रिंग फिंगर भी कहते हैं जो हमारे हाथ की सबसे छोटी अंगुली के पास होती है। ऐसा करने से भगवान की कृपा हमारे ऊपर बनी रहती हैय,

अतिथि को किस अंगुली से तिलक लगाएं?

हिंदू धर्म के अनुसार, विशेष अवसरों पर जब कोई मेहमान हमारे घर आता है तो तिलक लगाकर उसका स्वागत किया जाता है। ग्रंथों के अनुसार, अतिथि को सदैव अंगूठे से तिलक लगाना चाहिए। तभी इस तिलक का महत्व बना रहता है। हस्तरेखा शास्त्र में अंगूठे को शुक्र ग्रह से जोड़कर देखा जाता है जो सुख-समृद्धि प्रदान करता है।

स्वयं को किस अंगुली से तिलक लगाएं?

हिंदू धर्म में रोज तिलक लगाने की परंपरा है। बिना तिलक का मस्तक शोभा नहीं देता, ऐसा पुराणों में लिखा है। विद्वानों का मत है कि स्वयं को मध्यमा अंगुली से तिलक लगाना चाहिए। मध्यमा अंगुली शनि से संबंधित है, जो न्याय के देवता हैं। ऐसा करने से शनिदेव की कृपा हमारे ऊपर बनी रहती है।

पितरों को किस अंगुली से तिलक लगाएं?

श्राद्ध, तर्पण आदि करते समय पितरों को भी तिलक लगाया जाता है। विद्वानों के अनुसार, पितरों को हमेशा तर्जनी अंगुली से तिलक लगाना चाहिए। तर्जनी अंगुली के संबंध गुरु ग्रह से है जो हमारे जीवन में धर्म-कर्म से संबंधित होते हैं। तर्जन अंगुली से तिलक लगाने से पितरों को शांति मिलती है।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।