सार

Parshuram Jayanti 2025: इस बार परशुराम जयंती का पर्व 30 अप्रैल, बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन यदि भगवान परशुराम के मंत्र, स्तुति आदि का पाठ किया जाए तो बड़े से बड़ा संकट भी टल सकता है।

 

Parshuram Jayanti 2025: वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी अक्षय तृतीया पर भगवान परशुराम की जयंती भी मनाई जाती है। इस बार ये पर्व 30 अप्रैल, बुधवार को मनाया जाएगा। मान्यता है कि भगवान परशुराम आज भी जीवित हैं और ओडिशा के महेंद्र पर्वत पर तपस्या कर रह हैं। परशुराम जयंती के मौके पर यदि भगवान परशुराम के कुछ विशेष मंत्रों और कवच स्त्रोत का पाठ किया जाए तो इससे बड़े से बड़ा संकट भी अपने आप टल सकता है। आगे जानिए परशुराम के इन मंत्र, स्तुति और कवच का पाठ कैसे करें…

श्री परशुराम कवच स्तोत्र

कराभ्यां परशुं चापं दधानं रेणुकात्मजं । जामदग्न्यं भजे रामं भार्गवं क्षत्रियान्तकं नमामि भार्गवं रामं रेणुका चित्तनन्दनं । मोचितंबार्तिमुत्पातनाशनं क्षत्रनाशनम् भयार्तस्वजनत्राणतत्परं धर्मतत्परम् । गतगर्वप्रियं शूरं जमदग्निसुतं मतम् वशीकृतमहादेवं दृप्त भूप कुलान्तकम् । तेजस्विनं कार्तवीर्यनाशनं भवनाशनम् परशुं दक्षिणे हस्ते वामे च दधतं धनुः । रम्यं भृगुकुलोत्तंसं घनश्यामं मनोहरम् शुद्धं बुद्धं महाप्रज्ञापण्डितं रणपण्डितं । रामं श्रीदत्तकरुणाभाजनं विप्ररंजनम् मार्गणाशोषिताभ्ध्यंशं पावनं चिरजीवनम् । य एतानि जपेन्द्रामनामानि स कृति भवेत् ॥ इति श्री प. श्री वासुदेवानंदसरस्वतीविरचितं श्री परशुराम स्तोत्रं संपूर्णम् ॥

भगवान परशुराम के 4 मंत्र

- ऊं रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नमः
- ऊं ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्
- ऊं जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्
- ऊं ब्रह्म क्षेत्रा विद्महे क्षत्रियां धीमहि तन्नो राम प्रचोदयात

कैसे करें पाठ?

- भगवान परशुराम मंत्रों का जाप करने से पहले किसी साफ स्थान पर एक लकड़ी के पटिए के ऊपर भगवान परशुराम का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें।
- भगवान परशुराम के चित्र पर तिलक लगाएं, फूलों की माला पहनाएं और शुद्ध घी का दीपक जलाएं। इसके बाद रुद्राक्ष की माला से किसी एक मंत्र का जाप करें।
- कम से कम 5 माला जाप अवश्य करें। एक माला यानी 108 बार। इस तरह मंत्र जाप से आपकी हर परेशानी दूर हो सकती है आने वाले संकट टल सकते हैं।
- परशुराम कवच स्त्रोत का पाठ आसन पर बैठकर आराम से करें। इसके लिए माला का उपयोग न करें। भगवान की कृपा पाने का ये अचूक उपाय है।


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