सार

Chaitra Purnima 2025 Upay: चैत्र पूर्णिमा 12 अप्रैल 2025, शानिवार को है। इस दिन कुछ आसान उपाय से पितृदोष से मुक्ति पा सकते हैं। ये उपाय करने से जीवन की रुकावटें दूर होती हैं और पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है। जानिए

Chaitra Purnima 2025 Easy Remedies: क्या आपकी जिंदगी में बिना वजह रुकावटें आ रही हैं? मेहनत के बाद भी सफलता दूर लगती है? परिवार में अशांति या पैसों की तंगी ने परेशान कर रखा है? अगर हां, तो इस बार 12 अप्रैल 2025 की चैत्र पूर्णिमा को जरूर याद रखें। क्योंकि यही है वो दिन, जब आप अपने जीवन में छिपी समस्याओं की जड़ यानी पितृदोष से छुटकारा पा सकते हैं, वो भी आसान उपायों से।

क्यों खास है चैत्र पूर्णिमा? (Chaitra Purnima Importance)

हिंदू धर्म में चैत्र मास की पूर्णिमा का बड़ा महत्व है। ये सिर्फ एक शुभ तिथि नहीं, बल्कि पूर्वजों की आत्मा को शांति देने और उनका आशीर्वाद पाने का विशेष अवसर होती है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, भगवान शिव-विष्णु की पूजा और पितरों के लिए तर्पण करने से न सिर्फ उनके आशीर्वाद मिलते हैं, बल्कि जीवन में सुख, धन और शांति भी बढ़ती है।

क्या होता है पितृदोष? (What is Pitra Dosha)

ज्योतिष के अनुसार, जब किसी व्यक्ति के पूर्वजों का श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान ठीक से नहीं होता, तो उनकी आत्मा अधूरी रह जाती है। ऐसे में पितृदोष बनता है, जो जीवन में रुकावट, बीमारी, नौकरी या शादी में परेशानी जैसे कई संकट खड़े कर देता है।

कब है चैत्र पूर्णिमा? शुभ मुहूर्त जानिए (Chaitra Purnima Date and Shubh Muhurat)

  • तिथि शुरू: 11 अप्रैल 2025, रात 8:05 बजे
  • तिथि समाप्त: 12 अप्रैल 2025, रात 8:22 बजे
  • चंद्रदर्शन: 12 अप्रैल को शाम 6:18 बजे
  • इस समय के बीच किए गए पूजा-पाठ और उपाय सबसे अधिक प्रभावी माने जाते हैं।

पितृदोष दूर करने के 7 असरदार उपाय (Remedies to remove Pitra Dosha)

गंगा स्नान व तर्पण: अगर संभव हो तो गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें। नहीं तो घर पर स्नान जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें और तर्पण करें।

सूर्य को अर्घ्य दें: तांबे के लोटे से सूर्य को जल चढ़ाएं और अपने पूर्वजों को याद करते हुए शांति की प्रार्थना करें।

पितरों के नाम का भोजन: पूर्वजों के लिए सात्विक भोजन बनाएं और उसे गाय, कौए और कुत्ते को खिलाएं। माना जाता है कि ये जीव पितरों तक भोजन पहुंचाते हैं।

पीपल वृक्ष की पूजा: पीपल को जल दें, दीपक जलाएं और 7 परिक्रमा करें। इससे पितृ दोष शांत होता है।

दीपदान खासकर दक्षिण दिशा में: रात को घर के दक्षिण हिस्से में दीपक जलाएं। दक्षिण दिशा पूर्वजों की मानी जाती है।

दान करें: काले तिल, अन्न, वस्त्र या मिठाई किसी जरूरतमंद या ब्राह्मण को दान करें।

शिवलिंग पर जल व तिल अर्पित करें: शिवजी को दूध, बेलपत्र, धतूरा और काले तिल चढ़ाएं। साथ ही "ॐ पितृभ्यः नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।

 चैत्र पूर्णिमा के दिन बरतें कुछ जरूरी सावधानियां

  • कोई भी उपाय जल्दबाजी में न करें।
  • अगर संभव हो तो किसी योग्य ब्राह्मण या पंडित से मार्गदर्शन लें।
  • इस दिन मांस-मदिरा का सेवन, झूठ बोलना या नकारात्मक सोच से बचें।
  • सभी कार्य श्रद्धा और विश्वास से करें।