सार
Kab Hai Jaya Ekadashi 2025: माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी कहते हैं। इसके अन्य नाम अजा और भीष्म एकादशी भी है। इस बार जया एकादशी व्रत फरवरी 2025 के पहले सप्ताह में किया जाएगा।
Jaya Ekadashi Vrat 2025: सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। एक साल में कुल 24 एकादशी आती है। इनमें से माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी कहते हैं। इसके और भी कईं नाम हैं जैसे- अजा और भीष्म एकादशी। इस एकादशी का महत्व भगवान शिव ने महर्षि नारद को बताया था। आगे जानिए कब है जया एकादशी, इसकी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त सहित पूरी डिटेल…
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कब करें जया एकादशी 2025? ( Kab Kare Jaya Ekadashi Vrat 2025)
पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 7 फरवरी, शुक्रवार की रात 09 बजकर 26 मिनिट से शुरू होगी, जो 08 फरवरी, शनिवार की रात 08 बजकर 16 मिनिट तक रहेगी। चूंकि एकादशी का सूर्योदय 8 फरवरी को होगा, इसलिए जया एकादशी का व्रत भी इसी दिन किया जाएगा।
जया एकादशी 2025 के शुभ मुहूर्त (Jaya Ekadashi 2025 Shubh Muhurat)
- सुबह 08:30 से 09:54 तक
- दोपहर 12:18 से 01:03 तक (अभिजीत मुहूर्त)
- दोपहर 12:41 से 02:04 तक
- दोपहर 03:27 से 04:51 तक
जया एकादशी पूजा विधि (Jaya Ekadashi 2025 Puja Vidhi)
- 8 फरवरी, शनिवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और एकादशी व्रत-पूजा का संकल्प लें। जैसा व्रत करना चाहें, उसी के अनुसार संकल्प लें।
- शुभ मुहूर्त से पहले पूजा की तैयारी कर लें। घर का कोई हिस्सा अच्छी तरह साफ करें और गंगाजल छिड़ककर इसे पवित्र कर लें।
- शुभ मुहूर्त में यहां लकड़ी का पटिया रखकर इसके ऊपर भगवान विष्णु का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें। भगवान के चित्र पर हार चढ़ाएं।
- शुद्ध घी का दीपक जलाएं और कुमकुम से तिलक भी करें। इसके बाद अबीर, गुलाल, फूल, चावल आदि एक-एक करके चढ़ाएं।
- इस दिन भगवान को तिल विशेष रूप से चढ़ाएं। पूजा के दौरान ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप भी निरंतर करते रहें।
- अपनी इच्छा अनुसार भगवान को भोग लगाएं, इसमें तुलसी के पत्ते जरूर रखें। पूजा के बाद आरती करें। प्रसाद भक्तों में बांट दें।
- रात में सोए नहीं, भगवान का भजन या मंत्रों का जाप करते रहें। अगले दिन सुबह ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और व्रत का पारणा करें।
- पारणा के बाद स्वयं भोजन करें। इस तरह जया एकादशी का व्रत करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।
भगवान विष्णु की आरती (Lord Vishnu Aarti)
ऊं जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...॥
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