Gayatri Jayanti 2025: धर्म ग्रंथों में देवी गायत्री को वेदमाता कहा गया है यानी वेदों को प्रकट करने वाली माता। हर साल ज्येष्ठ मास में वेदमाता गायत्री की जयंती मनाई जाती है। जानें कब है गायत्री जयंती 2025?

Gayatri Jayanti 2025 Details: ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गायत्री जयंती का पर्व मनाया जाता है, मान्यता है कि वेदमाता गायत्री इसी तिथि पर प्रकट हुई थीं। इस बार गायत्री जयंती का पर्व 5 जून, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस बार देवी गायत्री का विशेष पूजा की जाती है साथ ही उनसे संबंधित मंत्रों का जाप भी किया जाता है। आगे जानिए कैसे करें गायत्री जयंती पर पूजा, इस दिन के शुभ मुहूर्त व अन्य खास बातें…

गायत्री जयंती 2025 शुभ मुहूर्त (Gayatri Jayanti 2025 Shubh Yog-Muhurat)

- सुबह 10:45 से दोपहर 12:25 तक
- सुबह 11:58 से दोपहर 12:52 PM (अभिजीत मुहूर्त)
- दोपहर 12:25 से 02:05 तक
- दोपहर 02:05 से03:45 तक

इस विधि से करें देवी गायत्री की पूजा (Gayatri Jayanti Puja Vidhi)

- 5 जून, गुरुवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और हाथ में जल-चावल और फूल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। शुभ मुहूर्त से पहले पूजा की पूरी तैयारी कर लें।
- घर में साफ स्थान पर लकड़ी की चौकी पर देवी गायत्री की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित कर पूजा शुरू करें। सबसे पहले कुमकुम से तिलक करें और फूलों की माला पहनाएं।
- देवी के चित्र के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं। इसके बाद अबीर, गुलाल, रोली, फूल, फल, वस्त्र, पूजा की सुपारी आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें।
- सबसे अंत में देवी को अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाएं और आरती भी करें। पूजा के बाद कम से कम 5 माला जाप गायत्री मंत्र की करें। ये है गायत्री मंत्र-
भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्"
- इस प्रकार देवी गायत्री की पूजा करने और मंत्र जाप करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

देवी गायत्री की आरती (Devi Gayatri Ki Aarti)

जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता ।
सत् मार्ग पर हमें चलाओ, जो है सुखदाता ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
आदि शक्ति तुम अलख निरंजन जगपालक कर्त्री ।
दु:ख शोक, भय, क्लेश कलश दारिद्र दैन्य हत्री ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
ब्रह्म रूपिणी, प्रणात पालिन जगत धातृ अम्बे ।
भव भयहारी, जन-हितकारी, सुखदा जगदम्बे ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
भय हारिणी, भवतारिणी, अनघेअज आनन्द राशि ।
अविकारी, अखहरी, अविचलित, अमले, अविनाशी ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
कामधेनु सतचित आनन्द जय गंगा गीता ।
सविता की शाश्वती, शक्ति तुम सावित्री सीता ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
ऋग, यजु साम, अथर्व प्रणयनी, प्रणव महामहिमे ।
कुण्डलिनी सहस्त्र सुषुमन शोभा गुण गरिमे ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
स्वाहा, स्वधा, शची ब्रह्माणी राधा रुद्राणी ।
जय सतरूपा, वाणी, विद्या, कमला कल्याणी ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
जननी हम हैं दीन-हीन, दु:ख-दरिद्र के घेरे ।
यदपि कुटिल, कपटी कपूत तउ बालक हैं तेरे ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
स्नेहसनी करुणामय माता चरण शरण दीजै ।
विलख रहे हम शिशु सुत तेरे दया दृष्टि कीजै ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
काम, क्रोध, मद, लोभ, दम्भ, दुर्भाव द्वेष हरिये ।
शुद्ध बुद्धि निष्पाप हृदय मन को पवित्र करिये ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
जयति जय गायत्री माता,
जयति जय गायत्री माता ।
सत् मार्ग पर हमें चलाओ,
जो है सुखदाता ॥


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