सार

Bhishma Dwadashi 2025: माघ मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भीष्म द्वादशी कहते हैं। मान्यता है कि भीष्म पितामह की मृत्यु के बाद इसी तिथि पर पांडवोंन ने उनका तर्पण और पिंडदान किया था।

 

Bhishma Dwadashi 2025 Kab Hai: महाभारत के अनुसार, भीष्म पितामह 58 दिनों तक बाणों की शय्या पर रहे। जब उन्होंने देखा कि हस्तिनापुर सुरक्षित है तो माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को उन्होंने प्राण त्याग दिए। इसी महीने की द्वादशी तिथि को पांडवों ने उनका तर्पण और पिंडदान किया था। इसी तिथि पर भीष्म द्वादशी का व्रत किया जाता है। इस बार ये तिथि 9 फरवरी, रविवार को है। आगे जानिए इस दिन कैसे करें व्रत-पूजा…

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भीष्म द्वादशी 2025 शुभ मुहूर्त

- सुबह 08:30 से 09:53 तक
- सुबह 09:53 से 11:17 तक
- दोपहर 12:18 से 01:03 तक
- दोपहर 02:04 से 03:28 तक

इस विधि से करें भीष्म द्वादशी का व्रत (Bhishm Dwadashi 2025 Puja Vidhi)

- 9 फरवरी, रविवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और हाथ में जल-चावल लेकर भीष्म द्वादशी व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन में किसी भी समय भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करें। फल, पंचामृत, सुपारी, पान, दूर्वा आदि चीजें चढ़ाएं।
- भगवान को घर में बने पकवानों का भोग लगाएं। ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने और जरूरतमंदों को दान करने से सुख-सौभाग्य और धन-संतान आदि हर मनोकामना पूरी होती है।
- इसके बाद किसी नदी के तट पर या घर पर ही योग्य विद्वान के माध्यम से भीष्म पितामाह के निमित्त तर्पण-पिंडदान आदि करें। भीष्म द्वादशी पर पिंडदान और तर्पण करने से पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है।

भीष्म द्वादशी के उपाय (Bhishma Dwadashi upay)

1. भीष्म द्वादशी पर ऊं नमो नारायणाय नम: आदि नामों से भगवान नारायण का स्मरण करना चाहिए। ऐसा करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
2. इस दिन गाय को हरा चारा खिलाएं, मछलियों के लिए तालाब-नदी में आटे की गोलियां बनाकर डालें। पक्षियों के लिए छत पर दाना-पानी रखें।
3. जरूरतमंदों को भोजन, कपड़ा, आदि चीजों का दान करें।


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