MalayalamEnglishKannadaTeluguTamilBanglaHindiMarathi
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • राष्ट्रीय
  • वेब स्टोरी
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • बिज़नेस
  • खेल
  • फोटो
  • गेम्स
  • वीडियो
  • वायरल
  • KEA २०२५
  • Home
  • Religion
  • Puja Vrat Katha
  • Vasant Panchami 2023: देवी सरस्वती के 5 प्राचीन मंदिर, कोई है पीओके में तो कोई भारत-चीन सीमा पर

Vasant Panchami 2023: देवी सरस्वती के 5 प्राचीन मंदिर, कोई है पीओके में तो कोई भारत-चीन सीमा पर

Vasant Panchami 2023: हर साल वसंत पंचमी पर देवी सरस्वती की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस बार ये पर्व 25 जनवरी, बुधवार को है। मान्यता के अनुसार, इसी तिथि पर देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं। इस दिन देवी सरस्वती के मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

 

Manish Meharele | Updated : Jan 25 2023, 09:50 AM
4 Min read
Share this Photo Gallery
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Whatsapp
  • Google NewsFollow Us
16
ये हैं देवी सरस्वती 5 प्राचीन मंदिर
Image Credit : Getty

ये हैं देवी सरस्वती 5 प्राचीन मंदिर

हमारे देश में देवी सरस्वती के अनेक प्राचीन मंदिर हैं। इन सभी मंदिरों से कोई-न-कोई मान्यता और परंपरा जुड़ी हुई है। वैसे तो इन मंदिरों में हमेशा भक्तों की भीड़ रहती है, लेकिन वसंत पंचमी के मौके पर यहां की रौनक देखते ही बनती है। इस बार वसंत पंचमी (Vasant Panchami 2023) का पर्व 26 जनवरी, गुरुवार को मनाया जाएगा। देवी सरस्वती के कुछ मंदिर को काफी प्राचीन हैं। इन मंदिरों के इतिहास के बारे में अधिक किसी को पता नहीं है। आज हम आपको देवी सरस्वती के कुछ प्राचीन मंदिरों के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार हैं…
 

26
श्रृंगेरी शारदा पीठ, कर्नाटक
Image Credit : google

श्रृंगेरी शारदा पीठ, कर्नाटक

कर्नाटक के श्रृंगेरी शहर में देवी सरस्वती का एक प्राचीन मंदिर है। मान्यता है इस मंदिर की स्थापना आदिगुरु शंकराचार्य ने आठवीं सदी में की थी। यह मंदिर कर्नाटक में तुंगा नदी के तट पर स्थित है। इसे शारदाम्बा मंदिर के नाम से जाता है। मंदिर में पहले चंदन की लकड़ी से बनी देवी सरस्वती की मूर्ति थी, जिसे बाद में संत विद्यारण्य द्वारा सोने की बनवाकर स्थापित करवाया गया।
 

36
पनाचिक्कड़ सरस्वती मंदिर, केरल
Image Credit : google

पनाचिक्कड़ सरस्वती मंदिर, केरल

केरल में भी माता सरस्वती का एक प्राचीन मंदिर है, जिसे दक्षिणा मूकाम्बिका के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि इसकी स्थापना राजा किझेप्पुरम नंबूदिरी ने की थी, वह देवी मूकाम्बिका के परम भक्त थे। इस मूर्ति को कोई आकार नहीं है। मंदिर में देवी सरस्वती के अलावा श्रीगणेश, भगवान विष्णु, हनुमान और यक्षी की प्रतिमा भी स्थापित है। मंदिर के गर्भगृह में लाइट की कोई व्यवस्था नहीं है, सिर्फ एक दीपक देवी सरस्वती की मूर्ति के पास एक दीपक हमेशा जलता रहता है।
 

46
शारदापीठ मंदिर, कश्मीर (पीओके)
Image Credit : google

शारदापीठ मंदिर, कश्मीर (पीओके)

देवी सरस्वती का एक प्राचीन मंदिर पीओके यानी पाक अधिकृत कश्मीर में है। ये मंदिर कश्मीर के कुपवाड़ा से करीब 22 किलोमीटर दूर है। मान्यता है इस मंदिर का निर्माण महाराज अशोक ने 237 ईसा पूर्व में करवाया था। कभी ये मंदिर शिक्षा का प्रमुख केंद्र था। शारदा पीठ देवी के 18 महाशक्ति पीठों में से एक है। मान्यताओं के अनुसार यहां देवी सती का दायां हाथ गिरा था।
 

56
तेलंगाना का ज्ञान सरस्वती मंदिर
Image Credit : google

तेलंगाना का ज्ञान सरस्वती मंदिर

आंध्रप्रदेश के तेलंगाना में बासर नामक गांव में देवी सरस्वती का एक प्राचीन मंदिर है, जिसे ज्ञान सरस्वती मंदिर के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना स्वयं महर्षि वेदव्यास ने की थी। इस बात से अनुमान लगाया जाता है कि ये मंदिर कईं हजार साल पुराना है। मंदिर में केंद्रीय प्रतिमा सरस्वती जी की है, साथ ही लक्ष्मी जी भी विराजित हैं। सरस्वती जी की प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में 4 फुट ऊंची है। मंदिर में एक स्तंभ भी है जिसमें से संगीत के सातों स्वर सुने जा सकते हैं।
 

66
सरस्वती उद्गम मंदिर, उत्तराखंड
Image Credit : google

सरस्वती उद्गम मंदिर, उत्तराखंड

उत्तराखंड में बद्रीनाथ धाम से 3 किमी दूर माणा गांव है। ये भारत- चीन सीमा का अंतिम गांव है। यहीं से सरस्वती नदी का उद्गम माना जाता है। सरस्वती नदी के उद्गम स्थल पर देवी सरस्वती का एक प्राचीन मंदिर है। कहते हैं देवी सरस्वती का प्राकट्य इसी स्थान पर हुआ था। सरस्वती के उद्गम स्थल के पास ही व्यास गुफा भी है जहां रहकर व्यास मुनि ने महाभारत महाकाव्य की रचना की थी।


ये भी पढ़ें-

February 2023 Festival Calendar: फरवरी 2023 में 11 दिन रहेंगे व्रत-त्योहार, यहां जानें पूरी लिस्ट


Hindu Tradition: मंदिर में प्रवेश से ठीक पहले जरूर किया जाता है ये काम, बहुत कम लोग जानते हैं इसके पीछे का कारण


Palmistry: 7 प्रकार के होते हैं हाथ, जानें कैसे हाथ वाले होते हैं अपराधी और कैसे हाथ वाले बनते हैं बिजनेसमैन?



Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।


 

Manish Meharele
About the Author
Manish Meharele
मनीष जीव विज्ञान में बीएससी स्नातक कर चुके हैं। 19 वर्षों से मीडिया में काम कर रहे हैं। उन्होंने करियर की शुरुआत स्थानीय अखबार दैनिक अवंतिका से की थी। वह दैनिक भास्कर प्रिंट उज्जैन में वाणिज्य डेस्क प्रभारी रहे चुके हैं और 2010 से 2019 तक दैनिक भास्कर डिजिटल में धर्म डेस्क पर काम किया है। उन्हें महाभारत, रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों का अच्छा ज्ञान है। मौजूदा समय में मनीष एशियाने न्यूज हिंदी डिजिटल में कार्यरत हैं। Read More...
 
Recommended Stories
Top Stories