Sawan 2025: इस बार सावन शिवरात्रि का व्रत 23 जुलाई, बुधवार को किया जाएगा। इस व्रत से जुड़ी एक रोचक कथा भी है, जिसे सुने बिना इसका पूरा फल नहीं मिलता। आगे जानिए सावन शिवरात्रि व्रत की कथा।

Sawan Shivratri Katha in Hindi: धर्म ग्रंथों के अनुसार, हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। ये पर्व जब सावन मास में आता है तो बहुत ही खास हो जाता है, चूंकि सावन भगवान शिव की भक्ति का महीना है। इस बार सावन शिवरात्रि का पर्व 23 जुलाई, बुधवार को मनाया जाएगा। इस व्रत से जुड़ी एक कथा भी है। मान्यता है कि बिना इस कथा को सुने सावन शिवरात्रि व्रत का पूरा फल नहीं मिलता। आगे पढ़ें सावन शिवरात्रि की रोचक कथा…

सावन शिवरात्रि व्रत कथा (Sawan Shivratri Vrat Katha)

- किसी समय चित्रभानु नाम का एक शिकारी जानवरों का शिकार कर अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। शिकारी ने किसी काम के लिए साहूकार से कर्ज लिया था, जिसे वो समय पर चुका नहीं पाया था। कर्ज न चुकाने की वजह से एक दिन साहूकार ने उसे बंदी बना लिया। उस समय सावन शिवरात्रि थी। साहूकार की कैद रहने के कारण उसे दिन भर कुछ खाने-पीने को नहीं मिला।
- शाम को साहूकार ने एक दिन में कर्ज चुकाने का समय देकर उसे छोड़ दिया। चित्रभानु रात को शिकार करने निकला। शिकार के लिए वह छिपकर एक बिल्व वृक्ष पर चढ़कर बैठ गया। उस पेड़ के नीचे शिवलिंग स्थापित था। वृक्ष पर चढ़ने से बिल्व पत्र शिवलिंग पर अर्पित हो गए, जिससे अनजाने में ही उससे महादेव की पूजा हो गई। थोड़ी देर बाद वहां से एक गर्भवती हिरणी निकली।
- शिकारी ने जैसे ही उसे मारने के लिए बाण अपने धनुष पर चढ़ाया, फिर से बिल्व पत्र शिवलिंग पर चढ़ गए। हिरणी ने शिकारी को देखकर कहा ‘गर्भवती प्राणी को मारना महापाप है। जब मेरा प्रसव हो जाएगा, तब मैं स्वयं तुम्हारे पास आ जाऊंगी।’ हिरणी की बात सुनकर शिकारी ने उसे जाने दिया।
- कुछ देर बाद वहां दूसरी हिरणी आई। शिकारी ने उसे मारने के लिए जैसे ही धनुष पर बाण चढ़ाया, फिर से शिवलिंग पर बिल्व पत्र गिर गए और महादेव की पूजा हो गई। उस हिरणी ने शिकारी से कहा ‘मैं एक कामातुर हिरणी हूं और मिलने के लिए अपने प्रिय को ढूंढ रही हूं। मिलन के बाद मैं स्वयं तुम्हारे पास आ जाऊंगी। शिकारी ने उसे भी जाने दिया।
- थोड़ी देर बाद शिकारी को एक हिरण दिखाई दिया। फिर से वही सब हुआ और शिवलिंग की पूजा हो गई। हिरण ने शिकारी को देखकर कहा ‘मैं अपने से मिलने जा रहा हूं, इसके बाद मैं स्वयं तुम्हारे पास आ जाऊंगा।’ हिरण की बात सुन शिकारी ने उसे भी जाने दिया। अगली सुबह दोनों हिरणी और हिरण शिकारी के पास पहुंचे, उनके साथ एक नवजात शिशु भी था।
- उस दिन अनजाने में ही शिकारी से सावन शिवरात्रि का व्रत और पूजा हो गई, जिससे उसका मन निर्मल हो गया और उसने उस दिन से शिकार करना छोड़ दिया। शिवजी की कृपा से उसने अन्य काम करके साहूकार का कर्ज भी चुका दिया। इस तरह जो सावन शिवरात्रि का व्रत करता है, उस पर भगवान शिव की कृपा हमेशा बनी रहती है।


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