Radha Ji Ki Aarti: इस बार राधा अष्टमी का पर्व 31 अगस्त, रविवार को मनाया जा रहा है। इस दिन राधा रानी की पूजा विशेष रूप से की जाती है। पूजा के बाद राधा रानी की आरती भी जरूर करनी चाहिए। तभी व्रत-पूजा का पूरा फल मिलता है।

Radha Rani Ki Aarti Lyrics in Hindi: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इसे राधा अष्टमी भी कहते हैं। इस दिन राधा रानी के मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। साथ ही विशेष पूजन आदि किया जाता है। पूजा के बाद आरती करने की परंपरा भी है। राधा रानी की आरती से हर परेशानी दूर हो सकती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। आगे जानिए कैसे करें राधा रानी की आरती…

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कैसे करें राधा रानी की आरती? जानें पूरी विधि

- राधा अष्टमी पर पहले लाड़ली जू की विधि-विधान से पूजा करें। इसके बाद आरती करें। इसके लिए सबसे पहले शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- बाद आरती गाते हुए राधाजी की मूर्ति या चित्र के चरणों पर से 4 बार, नाभि से 2 बार, चेहरे से 1 बार और 7 बार पूरी मूर्ति पर आरती घुमाएं।
- इस प्रकार राधा रानी की प्रतिमा से कुल 14 बार आरती की थाली घूमानी चाहिए। ऐसा करते समय अन्य लोग घंटी और ताली बजाते रहें।
- दीपक से आरती करने के बाद कर्पूर से भी राधा रानी की आरती करें। इस दौरान कर्पूर गौरम, करुणावतारम मंत्र भी बोलें।
- आरती पूरी होने के बाद थोड़ा-सा जल आरती पर छिड़कें। सबसे पहले राधा रानी और बाद में चारों दिशाओं में आरती दें।
- इसके बाद अन्य लोगों को आरती दें। इस तरह राधा रानी की आरती करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।

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राधा देवी की आरती लिरिक्स हिंदी में (Radha Devi Ki Aarti Lyrics In Hindi)

त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि,
विमल विवेकविराग विकासिनि ।
पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि,
सुन्दरतम छवि सुन्दरता की ॥
॥ आरती श्री वृषभानुसुता की..॥
मुनि मन मोहन मोहन मोहनि,
मधुर मनोहर मूरति सोहनि ।
अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि,
प्रिय अति सदा सखी ललिता की ॥
॥ आरती श्री वृषभानुसुता की..॥
संतत सेव्य सत मुनि जनकी,
आकर अमित दिव्यगुन गनकी ।
आकर्षिणी कृष्ण तन मनकी,
अति अमूल्य सम्पति समता की ॥
॥ आरती श्री वृषभानुसुता की..॥
। आरती श्री वृषभानुसुता की ।
कृष्णात्मिका, कृष्ण सहचारिणि,
चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि ।
जगजननि जग दुखनिवारिणि,
आदि अनादिशक्ति विभुता की ॥
॥ आरती श्री वृषभानुसुता की..॥
आरती श्री वृषभानुसुता की,
मंजुल मूर्ति मोहन ममता की