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Narak Chaturdashi 2025: नरक चतुर्दशी पर कब करें यम तर्पण, कब अभ्यंग स्नान? जानें पूजा विधि-मंत्र और मुहूर्त

Narak Chaturdashi 2025: दिवाली उत्सव के दूसरे दिन नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इसे छोटी दिवाली, रूप चतुर्दशी आदि नामों से भी जाना जाता है। इस पर्व से जुड़ी अनेक मान्यताएं और परंपराएं हैं।

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Manish Meharele
Published : Oct 18 2025, 03:54 PM IST
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जानें नरक चतुर्दशी 2025 की पूरी डिटेल
Image Credit : Gemini AI

जानें नरक चतुर्दशी 2025 की पूरी डिटेल

Choti Diwali 2025 Kab hai: धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी कहते हैं। इस दिन यमराज की पूजा का विधान है। मान्यता है कि नरक चतुर्दशी पर यमराज की पूजा से अकाल मृत्यु का डर नहीं रहता। नरक चतुर्दशी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा भी का जाती है क्योंकि इसी दिन उन्होंने नरकासुर नाम के राक्षस का वध किया था। नरक चतुर्दशी पर अभ्यंग स्नान का विशेष महत्व है। आगे जानिए नरक चतुर्दशी के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि सहित पूरी डिटेल…

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कब है नरक चतुर्दशी 2025?
Image Credit : Gemini AI

कब है नरक चतुर्दशी 2025?

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. नलिन शर्मा के अनुसार, इस बार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 19 अक्टूबर, रविवार की दोपहर 01 बजकर 51 मिनिट से शुरू होगी, जो 20 अक्टूबर, सोमवार की दोपहर 03 बजकर 45 मिनिट तक रहेगी। नरक चतुर्दशी से संबंधित पूजा 19 अक्टूबर की जाएगी, वहीं अभ्यंग स्नान 20 अक्टूबर की सुबह किया जाएगा।
 

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नरक चतुर्दशी 2025 शुभ मुहूर्त?
Image Credit : Gemini AI

नरक चतुर्दशी 2025 शुभ मुहूर्त?

नरक चतुर्दशी पर यमराज की पूजा का विधान है। ये पूजन आप 19 अक्टूबर, रविवार को प्रदोष काल में यानी शाम 05 बजकर 50 मिनिट से 07 बजकर 02 मिनिट के बीच में कर सकते हैं। अभ्यंग स्नान के लिए शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर, सोमवार की सुबह 05 बजकर 13 मिनिट से 06 बजकर 25 मिनिट तक रहेगा।

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इस विधि से करें नरक चतुर्दशी की पूजा
Image Credit : Gemini AI

इस विधि से करें नरक चतुर्दशी की पूजा

- 19 अक्टूबर, रविवार की शाम शुभ मुहूर्त में दक्षिण दिशा की ओर मुख करके यमराज का स्मरण करते हुए जल चढाएं और ये मंत्र बोलें। इसे यम तर्पण कहते हैं। 
ऊं यमाय नम:, ऊं धर्मराजाय नम:, ऊं मृत्यवे नम:, ऊं अन्तकाय नम:, ऊं वैवस्वताय नम:, ऊं कालाय नम:, ऊं सर्वभूतक्षयाय नम:, ऊं औदुम्बराय नम:, ऊं दध्राय नम:, ऊं नीलाय नम:, ऊं परमेष्ठिने नम:, ऊं वृकोदराय नम:, ऊं चित्राय नम:, ऊं चित्रगुप्ताय नम:।
- इसके बाद यमराज की प्रसन्नता के लिए दीपदान करें और घर की सुख-समद्धि के लिए प्रार्थना करें।
- अगले दिन यानी 20 अक्टूबर, सोमवार की सुबह शरीर पर तिल के तेल की मालिश करें और सूर्योदय से पहले स्नान करें। इसे अभ्यंग स्नान कहते हैं। स्नान के दौरान ये मंत्र बोलें- 
सितालोष्ठसमायुक्तं सकण्टकदलान्वितम्। 
हर पापमपामार्ग भ्राम्यमाण: पुन: पुन:।।

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नरक चतुर्दशी की कथा
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नरक चतुर्दशी की कथा

प्राचीन समय में बलि नाम का एक राक्षसों का राजा स्वर्ग पर अधिकार करना चाहता था। तब देवताओं का कार्य सिद्ध करने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और वे राजा बलि के पास गए। भगवान वामन में राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांग ली। राजा बलि ने भगवान वामन को तीन पग धरती दान में देना स्वीकार किया। भगवान वामन ने अपना रूप विशालकर तीनों लोक पर अधिकार कर लिया। बलि की दानवीरता देखकर भगवान वामन ने उसे पाताल लोक का राजा बना दिया। राजा बलि ने भगवान वामन से कहा ‘आपने कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से अमावस्या के दौरान मेरा संपूर्ण राज्य नाप लिया। इसलिए इस बीच यानी कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी पर यमराज के लिए दीपदान करे, उसे यम यातना न हो। भगवान वामन ने बलि की ये प्रार्थना स्वीकार कर ली। तभी से नरक चतुर्दशी पर यमराज के निमित्त दीपदान करने की परंपरा शुरू हुई।

Disclaimer 
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

About the Author

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Manish Meharele
मनीष मेहरेले। मीडिया में 19 साल का अनुभव, अभी एशियानेट न्यूज हिंदी के डिजिटल में काम कर रहे हैं। महाभारत, रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों का अच्छा ज्ञान है। ज्योतिष-हस्तरेखा, उपाय, वास्तु, कुंडली जैसे टॉपिक पर पकड़ है। यह जीव विज्ञान में बीएससी स्नातक हैं । करियर की शुरुआत स्थानीय अखबार दैनिक अवंतिका से की। 2010 से 2019 तक दैनिक भास्कर डॉट कॉम में धर्म डेस्क पर काम किया है।
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