सार
Myths related to ShaniDev: 27 मई, मंगलवार को ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर शनि जयंती का पर्व मनाया जाएगा। मान्यता के अनुसार, इसी तिथि पर शनिदेव का जन्म हुआ था। इस दिन शनिदेव की विशेष पूजा करने का विधान है।
Interesting stories of Shanidev: शनिदेव से जुड़ी अनेक कथाएं धर्म ग्रंथों में बताई गई हैं, जिनके बारे में कम ही लोगों को जानकारी है। शनिदेव के बारे में ये भी कहा जाता है कि इनकी नजर अशुभ है और इनके चलने की गति भी बहुत मंद है। इन दोनों मान्यताओं से जुड़ी रोचक कथाएं भी हैं। ये कथाएं जितनी रोचक हैं, उतनी ही रहस्यमयी भी हैं। शनि जयंती (27 मई) के मौके पर जानिए इन दोनों मान्यताओं से जुड़ी कथाएं…
किसने दिया था है शनिदेव को श्राप?
धर्म ग्रंथों के अनुसार, शनिदेव का विवाह चित्ररथ नाम के गंधर्व की पुत्री से हुआ था। शनिदेव की तरह उनकी पत्नी का स्वभाव भी बहुत उग्र था। एक बार जब शनिदेव भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए तपस्या कर रहे थे, उसी समय उनकी पत्नी ऋतु स्नान के बाद मिलन की कामना से उनके पास गई। लेकिन तपस्या में होने के कारण शनिदेव को इस बात का पता नहीं चला। पत्नी का ऋतुकाल समाप्त होने के बाद शनिदेव का ध्यान भंग हुआ। गुस्से में आकर शनिदेव की पत्नी ने उन्हें श्राप दिया कि ‘पत्नी होने पर भई आपने मुझे कभी प्रेम की दृष्टि से नहीं देखा, इसलिए अब आप जिसे भी देखेंगे, उसका अहित हो जायेगा। इसी श्राप की वजह से शनि की दृष्टि में दोष माना गया है।
किसने किया था शनिदेव पर प्रहार?
शिव पुराण के अनुसार, भगवान शंकर ने दधीचि मुनि के पुत्र पिप्पलाद के रूप में अवतार लिया। एक बार पिप्पलाद ने देवताओं से अपने पिता की मृत्यु का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि शनिदेव की कुदृष्टि के कारण ऐसा हुआ है। ये सुनकर पिप्पलाद मुनि ने शनिदेव पर ब्रह्म दंड का प्रहार किया। ये दंड जाकर शनिदेव के पैर में लगा, जिससे उनके चलने की गति मंद हो गई। बाद में सभी देवताओं ने जाकर पिप्पलाद मुनि को समझाया तब उनका क्रोध शांत हुआ।
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