Story Of Ganga Dussehra ज्येष्ठ मास में हर साल गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि देवनदी गंगा इसी दिन स्वर्ग से उतरकर धरती पर आई थी। तभी से गंगा दशहरा का पर्व मनाया जा रहा है। गंगा स्वर्ग से धरती पर क्यों आई, इसकी कथा भी बहुत रोचक है।
Ganga Dussehra Ki Katha: इस बार गंगा दशहरा का पर्व 5 जून, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा नदी के घाटों पर विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि देवनदी गंगा इसी दिन स्वर्ग से उतरकर धरती पर आई थी। गंगा के स्वर्ग से धरती पर आने की कथा भी बहुत रोचक है। अनेक धर्म ग्रंथों में इसके बारे में बताया गया है। आगे जानिए देवनदी गंगा स्वर्ग से धरती पर क्यों और कैसे आई…
क्यों मनाते हैं गंगा दशहरा? (Ganga Dussehra Story In Hindi)
- ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्रीराम के कुल में काफी समय पहले सगर नाम के एक राजा हुए। वे बहुत ही पराक्रमी थे, उनके राज्य की सीमा दूर-दूर तक फैली थीं।
- एक बार राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ किया, जिससे उन्हें इंद्र पद मिल सके। राजा सगर ने यज्ञ के घोड़े की रक्षा के लिए अपने 60 हजार को नियुक्त किया।
- देवराज इंद्र ने छल से यज्ञ के घोड़े को चुरा लिया और कपिल मुनि के आश्रम में ले जाकर छिपा दिया। राजा सगर के 60 हजार पुत्र यज्ञ के घोड़े को ढूंढने लगे।
- जब उन्होंने कपिल मुनि के आश्रम में यज्ञ का घोड़े देखा तो उन्हें लगा कि इन्होंने ही इस घोड़े को चुराया है। ये सोचकर वे कपिल मुनि को अपशब्द कहने लगे।
- कपिल मुनि उस समय तपस्या कर रहे थे। राजा सगर के पुत्रों के मुख से जब उन्होंने अपशब्द सुने तो उनकी तपस्या भंग हो गई जिससे वे बहुत क्रोधित हो गए।
- कपिल मुनि ने जैसे ही राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को देखा तो वे उसी समय जलकर भस्म हो गए। जब ये बात राजा सगर को पता चली तो वे बहुत दुखी हुए।
- राजा सगर कपिल मुनि से पास आए और उन्होंने अपने पुत्रों के मोक्ष का उपाय पूछा। तब कपिल मुनि ने कहा कि देवनदी गंगा के स्पर्श से ही इन्हें मोक्ष मिलेगा।
- राजा सगर के कुल में कुछ पीढ़ियों के बाद राजा भगीरथ पैदा हुए। उन्होंने देवनदी गंगा को धरती पर लाने के लिए घोर तपस्या की, जिसमें वे सफल भी हुए।
- गंगा का स्पर्श होते ही 60 हजार सगर पुत्रों को मोक्ष मिल गया। उस दिन ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि थी। इसलिए हर साल इस दिन गंगा दशहरा पर्व मनाते हैं।
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