सार
Kamda Ekadashi 2025: एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। ये तिथि हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र मानी गई है। कामदा एकादशी भी इनमें से एक है। इस एकादशी का महत्व अनेक ग्रंथों में बताया गया है।
Kamda Ekadashi 2025: हर महीने में 2 बार एकादशी तिथि का संयोग बनता है। इस तरह साल में कुल 24 एकादशी का होती है। इन सभी का नाम, महत्व, कथा आदि अलग-अलग है। इनमें से चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहते हैं। धर्म ग्रंथों में इस एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। इस बार कामदा एकादशी का व्रत अप्रैल के दूसरे सप्ताह में किया जाएगा। जानें अप्रैल 2025 में कामदा एकादशी की सही डेट, पूजा विधि, महत्व, आरती, शुभ मुहूर्त व अन्य खास बातें…
कब करें कामदा एकादशी व्रत 2025?
पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 07 अप्रैल, सोमवार की रात 08 बजे से 08 अप्रैल, मंगलवार की रात 09 बजकर 13 मिनिट तक रहेगी। उज्जैन के ज्योतिचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, चूंकि एकादशी तिथि का सूर्योदय 8 अप्रैल, मंगलवार को होगा, इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा।
कामदा एकादशी व्रत-पूजा विधि (Kamada Ekadashi Vrat-Puja Vidhi)
- कामदा एकादशी के एक दिन पहले यानी 7 अप्रैल, सोमवार की रात सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें। 8 अप्रैल, मंगलवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और व्रत-पूजा का संकल्प लें।
- घर के किसी साफ स्थान पर पूजा की तैयारी करें। शुभ मुहूर्त में यहां चौकी पर भगवान विष्णु की तस्वीर स्थापित करें। भगवान के चित्र पर तिलक लगाएं, माला पहनाएं और शुद्ध घी का दीपक लगाएं।
- भगवान विष्णु को अबीर, गुलाल, रोली, चावल, फूल, पान आदि चीजें चढाएं। पूजा के दौरान ये मंत्र मन ही मन में बोलते रहें- ऊं नमो भगवते वासुदेवाय। पूजा के बाद अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाएं।
- इसके बाद आरती करें। रात्रि में जागरण करें और भजन-कीर्तन करें। द्वादशी तिथि (9 अप्रैल, बुधवार) को ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और दक्षिणा देकर विदा करें। इसके बाद ही स्वयं भोजन करें।
भगवान विष्णु की आरती लिरिक्स हिंदी में
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी।
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।