Shanichari Amavasya 2025 Date: 23 अगस्त को शनिश्चरी अमावस्या का शुभ योग बन रहा है। इस दिन शनिदेव की पूजा की जाए तो कईं तरह की परेशानियों से बचा जा सकता है। आगे जानिए शनिश्चरी अमावस्या के शुभ मुहूर्त और मंत्र।

Shanichari Amavasya 2025 Mai Kab Hai: जब भी किसी शनिवार को अमावस्या का संयोग बनता है तो इसे शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है। इसे दुर्लभ संयोग माना जाता है क्योंकि साल में सिर्फ 1 या 2 बार ही ऐसा होता है। शनिश्चरी अमावस्या पर शनिदेव की पूजा विशेष रूप से की जाती है। यही कारण है कि इस दिन शनि मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। इस बार 23 अगस्त को शनिश्चरी अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा। जानें इस दिन कैसे करें शनिदेव की पूजा, कौन-सा मंत्र बोलें और शुभ मुहूर्त की डिटेल…

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शनिश्चरी अमावस्या 23 अगस्त 2025 शुभ मुहूर्त

सुबह 07:44 से 09:19 तक
दोपहर 12:04 से 12:54 तक (अभिजीत मुहूर्त)
दोपहर 12:29 से 02:04 तक
दोपहर 03:39 से 05:14 तक

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शनिश्चरी अमावस्या पूजा विधि

- 23 अगस्त, शनिवार की सुबह सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। ऊपर बताए किसी एक मुहूर्त में पूजा की तैयारी करें।
- किसी शनि मंदिर में पूजा करें। अगर घर पर ही शनिदेव की पूजा करना चाहते हैं तो शनिदेव का चित्र या प्रतिमा साफ स्थान पर स्थापित करें।
- सबसे पहले सरसों के तेल से शनिदेव का अभिषेक करें। इस तेल में काले तिल, काली उड़द भी डालें। काले वस्त्र शनिदेव को अर्पित करें।
- अपराजिता के फूल शनिदेव को चढ़ाएं। पूजा के दौरान ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप मन ही मन में निरंतर करते रहें।
- पूजा के बाद उड़द व चावल की खिचड़ी का भोग लगाएं। ये खिचड़ी सरसों के तेल में बनाएं। अंत में शनिदेव की आरती करें।
- इस तरह शनिश्चरी अमावस्या पर जो शनिदेव की पूजा करता है, शनिदेव की कृपा उस पर बनी रहती है और परेशानियां दूर होती हैं।

भगवान शनिदेव की आरती (Shanidev Aarti Lyrics In Hindi)

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव.…
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव.…
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव.…
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव.…
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।


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