Santan Saptami 2025 Date: भाद्रपद मास में संतान की लंबी उम्र और अच्छी सेहत के लिए विशेष व्रत किया जाता है। इसे संतान सातें और संतान सप्तमी कहा जाता है। इस व्रत का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया गया है।

Santan Saptami 2025 Kab Hai: हिंदू धर्म में महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र और अच्छी सेहत के लिए कईं व्रत करती हैं। संतान सप्तमी भी इनमें से एक है। ये व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को किया जाता है। इसे संतान सातें, मुक्ताभरण सप्तमी, दुबड़ी सप्तमी और संतान सातें आदि कईं नामों से जाना जाता है। एक मान्यता ये भी है इस व्रत को करने से योग्य संतान की प्राप्ति होती है। अनेक धर्म ग्रंथों में इस व्रत का महत्व बताया गया है। आगे जानिए 2025 में कब है संतान सप्तमी…

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कब है संतान सप्तमी 2025?

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 29 अगस्त, शुक्रवार की रात 08 बजकर 22 मिनिट से शुरू होगी जो 30 अगस्त, शनिवार की रात 10 बजकर 46 मिनिट तक रहेगी। चूंकि सप्तमी तिथि का सूर्योदय 30 अगस्त को होगा, इसलिए इसी दिन संतान सप्तमी का व्रत किया जाएगा।

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संतान सप्तमी 2025 शुभ मुहूर्त

सुबह 07:46 से 09:19 तक
दोपहर 12:02 से 12:52 तक (अभिजीत मुहूर्त)
दोपहर 12:27 से 02:01 तक
दोपहर 03:35 से 05:08 तक

 

संतान सप्तमी का व्रत कैसे किया जाता है?

– व्रती (व्रत करने वाली) महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। मन में कोई मनोकामना हो तो वह भी बोलें।
- घर में जहां पूजा करनी है, उस स्थान को साफ करें। गंगाजल-गौमूत्र छिड़क कर पवित्र कर लें। यहां लकड़ी का पटिया रख लाल कपड़ा बिछाएं।
- पटिए पर शिव-पार्वती की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। पानी का कलश रख इस पर स्वस्तिक का चिह्न बनाएं। इस पर नारियल रख दें।
- अब शुद्ध घी का दीपक जलाएं। भगवान को गुलाल, कुंकुम, चावल, फूल, जनेऊ, अबीर, पान और सुपारी आदि चीजें चढ़ाएं।
– शिव-पार्वती को मीठे पुए व अन्य चीजों का भोग लगाएं। इसके बाद आरती करें और संतान सप्तमी व्रत की कथा भी जरूर सुनें।
- नीचे लिखे मंत्र का जाप कम से कम 108 बार जरूर करें-
देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
पुत्र-पौत्रादि समृद्धि देहि में परमेश्वरी।।
- इस तरह संतान सप्तमी का व्रत करने से संतान की सेहत ठीक रहती है और उम्र भी बढ़ती है। वहीं योग्य संतान भी प्राप्त होती है।

भगवान शिव की आरती लिरिक्स हिंदी में

जय शिव ओमकारा प्रभु हर शिव ओमकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्द्धांगी धारा
ऊं जय शिव ओमकारा
जय शिव ओमकारा प्रभु हर शिव ओमकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्द्धांगी धारा
ऊं जय शिव ओमकारा
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे
स्वामी पञ्चानन राजे
हंसासन गरूड़ासन
हंसासन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे
ऊं जय शिव ओमकारा
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे
स्वामी दसभुज अति सोहे
तीनो रूप निरखता
तीनो रूप निरखता
त्रिभुवन जन मोहे
ऊं जय शिव ओमकारा
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी
स्वामी मुण्डमाला धारी
त्रिपुरारी कंसारी
कंचन बिन मन चंगा
कर माला धारी
ऊं जय शिव ओमकारा
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे
स्वामी बाघम्बर अंगे
सनकादिक ब्रम्हादिक
ब्रम्हादिक सनकादिक
भूतादिक संगे
ऊं जय शिव ओमकारा
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी
स्वामी चक्र त्रिशूलधारी
जगहर्ता जगकर्ता
जगहर्ता जगकर्ता
जगपालन कारी
ऊं जय शिव ओमकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका
स्वामी जानत अविवेका
प्रानवाक्षर के मध्ये(प्रानवाक्षर के मध्ये)
ये तीनो के धार
ऊं जय शिव ओमकारा
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे
स्वामी जो कोइ नर गावे
कहत शिवानन्द स्वामी
कहत शिवानन्द स्वामी
मनवान्छित फल पावे
ऊं जय शिव ओमकारा
जय शिव ओमकारा प्रभु हर शिव ओमकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्द्धांगी धारा
ऊं जय शिव ओमकारा
जय शिव ओमकारा प्रभु हर शिव ओमकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्द्धांगी धारा
ऊं जय शिव ओमकारा


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।