Rishi Panchami 2025 Kab Hai: इस बार 28 अगस्त, गुरुवार को ऋषि पंचमी व्रत किया जाएगा। इस व्रत का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया गया है। महिलाओं के लिए ये व्रत बहुत ही जरूरी माना गया है।
Rishi Panchami 2025 Details: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर हर साल ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है। ये व्रत सिर्फ वहीं महिलाएं कर सकती हैं जो रजस्वला होती हैं यानी जिनके पीरियड आते हैं। इस बार ऋषि पचंमी का व्रत 28 अगस्त, गुरुवार को किया जाएगा। इस व्रत में सप्त ऋषियों की पूजा करने की परंपरा है, इसलिए इसे ऋषि पंचमी कहते हैं। आगे जानिए ऋषि पंचमी व्रत की पूजा विधि, मुहूर्त, व अन्य खास बातें…
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ऋषि पंचमी 2025 पूजा शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार ऋषि पंचमी व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 05 मिनिट से शुरू होगा, जो दोपहर 01 बजकर 39 मिनिट तक रहेगा। यानी पूजा के लिए महिलाओं को पूरे 02 घण्टे 34 मिनट का समय मिलेगा।
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ऋषिपंचमी व्रत की पूजा विधि
28 अगस्त, गुरुवार की सुबह महिलाएं अपामार्ग (एक प्रकार की वनस्पति जिसे आंधीझाड़ा भी कहते हैं) से दांत साफ करें और सिर पर रखकर स्नान करें। पूजा के लिए तय स्थान पर साफ-सफाई करें शुभ मुहूर्त में यहां मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित कर कपड़े से ढंक दें। इसके ऊपर मिट्टी के दीपक में जौ भरकर रखें और व्रत-पूजा का संकल्प लें-
अमुक गोत्रा (अपना गोत्र बोलें) अमुक देवी (अपना नाम लें) अहं मम आत्मनो रजस्वलावस्थायां गृहभाण्डादिस्पर्शदोषपरिहारार्थं अरुन्धतीसहितसप्तर्षिपूजनं करिष्ये।
- इस कलश में ही सप्तऋषियों का निवास मानें। कलश पर अबीर, गुलाल, चावल, जनेऊ, पूजा की सुपारी, फूल आदि चीजें चढ़ाएं। बाद में इस कलश को किसी ब्राह्मण को दान कर दें, साथ में कुछ दक्षिणा यानी पैसा भी जरूर दें। इस व्रत में हल से जुते खेत का अन्न खाना मना है।
ऋषि पंचमी की आरती लिरिक्स हिंदी में (Rishi Panchami Ki Aarti Lyrics In Hindi)
श्री हरि हर गुरु गणपति , सबहु धरि ध्यान।
मुनि मंडल श्रृंगार युक्त, श्री गौतम करहुँ बखान।।
ऊं जय गौतम त्राता , स्वामी जी गौतम त्राता ।
ऋषिवर पूज्य हमारे ,मुद मंगल दाता।। ऊं जय।।
द्विज कुल कमल दिवाकर , परम् न्याय कारी।
जग कल्याण करन हित, न्याय रच्यौ भारी।। ऊं जय।।
पिप्लाद सूत शिष्य आपके, सब आदर्श भये।
वेद शास्त्र दर्शन में, पूर्ण कुशल हुए।। ऊं जय।।
गुर्जर करण नरेश विनय पर तुम पुष्कर आये ।
सभी शिष्य सुतगण को, अपने संग लाये।। ऊं जय।।
अनावृष्टि के कारण संकट आन पड्यो ।
भगवान आप दया करी, सबको कष्ट हरयो।। ऊं जय।।
पुत्र प्राप्ति हेतु , भूप के यज्ञ कियो।
यज्ञ देव के आशीष से , सुत को जन्म भयो।। ऊं जय।।
भूप मनोरथ पूर्ण करके , चिंता दूर करी।
प्रेतराज पामर की , निर्मल देह करी।। ऊं जय।।
ऋषिवर अक्षपाद की आरती ,जो कोई नर गावे।
ऋषि की पूर्ण कृपा से , मनोवांछित फल पावे ।। ऊं जय।।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।