Bhai Dooj 2025: भाई दूज दिवाली उत्सव का अंतिम दिन होता है। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर उसकी खुशहाली की कामना करती हैं। इस पर्व से जुड़ी कथा भी धर्म ग्रंथों में मिलती है।

Bhai Dooj 2025 Kab Hai: धर्म ग्रंथों के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। ये दिवाली उत्सव का अंतिम दिन होता है। पुराणों में इस पर्व के और भी कईं नाम बताए गए हैं जैसे- भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया आदि। इस दिन बहनें अपने भाई को घर बुलाकर भोजन करवाती हैं और तिलक लगाती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से भाई-बहन के जीवन में खुशहाली बनी रहती है। जानें इस बार कब है भाई दूज…

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कब है भाई दूज 2025? (Kab hai Bhai Dooj 2025)

पंचांग के अनुसार, इस बार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि 22 अक्टूबर, बुधवार की रात 08 बजकर 17 मिनिट से 23 अक्टूबर, गुरुवार की रात 10 बजकर 47 तक रहेगी। चूंकि द्वितिया तिथि का सूर्योदय 23 नवंबर को होगा, इसलिए इसी दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा।

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भाई दूज 2025 तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त

भाई दूज पर बहन द्वारा भाई को तिलक लगाने का विशेष महत्व है। 23 अक्टूबर, गुरुवार को तिलक लगाने का श्रेष्ठ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 13 मिनिट से 03 बजकर 28 मिनिट तक रहेगा। इसके अलावा चौघड़ियां मुहूर्त इस प्रकार रहेंगे-
सुबह 10:46 से 12:11 तक
दोपहर 11:48 से 12:33 तक
दोपहर 12:11 से 01:36 तक
दोपहर 01:36 से 03:01 तक

भाई दूज पर कैसे लगाएं भाई को तिलक?

- 23 अक्टूबर, गुरुवार की सुबह महिलाएं स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। बहन अपने भाई को घर पर भोजन के लिए आमंत्रित करें।
- भाई के घर आने पर बहन उसे प्रेम से भोजन कराएं। इसके बाद उसे उचित स्थान पर बैठाकर हाथ में नारियल दें और शुभ मुहूर्त में तिलक लगाएं।
- भाई अपनी बहन को इच्छा अनुसार कपड़े और पैसे उपहार में दें। इस तरह भाई दूज का पर्व मनाने से भाई-बहन के बीच प्रेम बना रहता है।
- भाई दूज की शाम को यमराज, चित्रगुप्त और यमदूतों की पूजा कर जल से अर्घ्य दें। इससे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।

भाई दूज की कथा

प्रचलित के अनुसार, ‘एक बार मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने पृथ्वी पर आए। भाई को देख यमुना बहुत खुश हुई और उन्होंने यमराज के लिए स्वयं भोजन बनाया और उन्हें तिलक लगाया। उस दिन कार्तिक शुक्ल द्वितिया तिथि थी। बहन का प्रेम देखकर यमराज ने वरदान दिया कि ‘जो भी कार्तिक शुक्ल द्वितिया तिथि पर बहन के घर भोजन करेगा उसकी अकाल मृत्यु नहीं होगी।’ तभी से भाई दूज मनाने की परंपरा चली आ रही है।

Disclaimer 
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।