Shivratri Vrat June 2025: हिंदू धर्म के अनुसार, हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि का व्रत किया जाता है। इस बार आषाढ़ मास का शिवरात्रि व्रत जून 2025 में किया जाएगा। 

Ashadh Shivratri Vrat 2025: पुराणों के अनुसार, हिंदू पंचांग के प्रत्येक महीने में शिव पूजा के लिए अनेक शुभ योग बनते हैं, मासिक शिवरात्रि भी इनमें से एक है। ये व्रत प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। चतुर्दशी तिथि के स्वामी स्वयं महादेव हैं, इसलिए इस व्रत का विशेष महत्व माना जाता है। आगे जानिए जून 2025 में कब करें मासिक शिवरात्रि व्रत, पूजा विधि, मंत्र-मुहूर्त सहित पूरी डिटेल…

जून 2025 में कब करें मासिक शिवरात्रि व्रत?

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 23 जून, सोमवार की रात 10 बजकर 10 मिनिट से शुरू होगी जो अगले दिन तक रहेगी। मासिक शिवरात्रि में महादेव की पूजा रात में करने का विधान है और 23 जून को रात भर चतुर्दशी तिथि रहेगी, इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा। सोमवार की रात मासिक शिवरात्रि की पूजा का संयोग कईं सालों में एक बार बनता है।

आषाढ़ मासिक शिवरात्रि के मुहूर्त

मासिक शिवरात्रि व्रत में भगवान शिव की पूजा रात में चार बार की जाती है। 23 जून सोमवार की रात का प्रथम प्रहर शाम 6 से रात 9 बजे तक रहेगा, दूसरा रात 9 से 12 बजे के बीच, तीसरा रात 12 से 3 बजे के बीच और चौथे प्रहर की पूजा तड़के 3 से सुबह 6 बजे के बीच करें। निशिथ काल पूजा का मुहूर्त रात 12:03 से 12:44 तक रहेगा।

मासिक शिवरात्रि व्रत-पूजा की विधि

- 23 जून सोमवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें। रात को शुभ मुहूर्त में पूजा करें।
- सबसे पहले शिवलिंग का साफ जल से अभिषेक करें फिर गाय के दूध से। पुन: एक बार जल से अभिषेक करने के बाद फूल चढ़ाएं और दीपक जलाएं।
- बिल्व पत्र, धतूरा अबीर, गुलाल, रोली आदि चीजें शिवलिंग पर चढ़ाएं। रात में चारों पहर में इसी विधि से शिवलिंग की पूजा करें और भोग लगाकर आरती करें।
- अगली सुबह यानी 24 जून, मंगलवार की सुबह व्रत का पारणा करें। ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और दान-दक्षिणा देकर विदा करें। इसके बाद स्वयं भोजन करें।
- इस तरह से व्यक्ति मासिक शिवरात्रि का व्रत-पूजन करता है, उस पर महादेव की कृपा हमेशा बनी रहती है और घर-परिवार में सुख-शांति का वास रहता है।

भगवान शिव की आरती (Shiv ji Ki aarti)

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।