Ganesh Chaturthi 2025: इस बार 27 अगस्त, बुधवार को गणेश चतुर्थी पर्व मनाया जाएगा। इस दिन घर-घर में गणेश प्रतिमा की स्थापना होगी। भक्त अलग-अलग तरीकों से प्रथम पूज्य को प्रसन्न करने का प्रयास करेंगे।

Ganesh Aarti Lyrics: हिंदू धर्म में देवी-देवता की पूजा के बाद आरती जरूर की जाती है। बिना आरती के पूजा अधूरी मानी जाती है। 27 अगस्त को गणेश चतुर्थी के मौके पर घर-घर में गणेश प्रतिमाओं की स्थापना की जाएगी और प्रथम पूज्य की आरती भी की जाएगी। वैसे तो भगवान श्रीगणेश की कईं आरतियां हैं, लेकिन उन सभी में 2 आरती सबसे ज्यादा फेमस हैं। आगे जानिए इन दोनों आरतियों के लिरिक्स हिंदी में…

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जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा आरती लिरिक्स हिंदी में (Jai Ganesh Jai Ganesh Jai Ganesh Deva Aarti Lyrics In Hindi)

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकि पार्वती पिता महादेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
एक दन्त दयावंत चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे मूसे की सवारी।।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
अन्धन को आंख देत कोढिऩ को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
हार चढ़े फुल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डूवन का भोग लगे संत करे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
दीनन की लाज रखो, शंभू पुत्र वारी।
मनोरथ को पूरा करो, जय बलिहारी।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकि पार्वती पिता महादेवा।।

सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची आरती लिरिक्स हिंदी में (Sukh Harta Dukh Harta Varta Vighnaci Aarti Lyrics In Hindi)

सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची
कंठी झलके माल मुकताफळांची
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव
रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव
लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव
शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को
दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को
हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को
जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव