सार

राजस्थान के सिरोही जिले से एक अनोखा मामला सामने आया है। जहां एक कंबल वाले बाबा नाम से फेमस शख्स के पास देश के तमाम राज्यों से लोग लाइलाज बीमारियों का इलाज कराने पहुंच रहे हैं। बाबा गारंटी देकर दावा कर रहा है कि वह किसी भी बीमारी का इलाज कर देगा।


सिरोही (राजस्थान). लोग चांद पर बसने का प्लान बना रहे हैं, वहीं आज भी ऐसे बहुत से लोग हैं जो अंधविश्वास को चमत्कार मान बैठते हैं। जिसके चलते वह डॉक्टरों से इलाज नहीं कराकर बाबा-भोपों के जाल में फंस जाते हैं। कुछ इसी तरह का मामला राजस्थान के सिरोही जिले से सामने आया है। जहां गांव में एक बाबा के पास देश के तमाम राज्यों से लोग लाइलाज बीमारियों का इलाज कराने पहुंच रहे हैं। बाबा गारंटी देकर दावा कर रहा है कि वह किसी भी बीमारी का इलाज कर देगा।

जम्मू कश्मीर से लेकर कर्नाटक के लोग पहुंच रहे 
दरअसल, लोगों को चमत्कार दिखाने वाले इस साधु का नाम कंबल बाबा है। जिसने पालड़ी-एम गांव में इन दिनों लाइलाज बीमारियों का इलाज करने का शिविर लगाया हुआ है। गांव में जम्मू कश्मीर से लेकर कर्नाटक के लोग पहुंच रहे हैं। बाबा का दावा है कि वह कंबल के जादू से लकवा, पोलियो, कैंसर सहित हज़ारों बीमारियों का इलाज कर सकता है। इतना ही नहीं बाबा गारंटी दे रहा है कि वो गूंगा-बहरों को भी सही कर रहा है।

पुलिस-प्रशासन चुप, बाबा कर रहा कई झूठे दावे
बाबा मूल रूप से गुजरात के सुरेन्द्र नगर का रहने वाला है। लेकिन उसने राजस्थान के सिरोही जिले में अपना शिविर लगाया हुआ है। बता दें कि बाबा के पास आने वाले बीमार लोगों को अपनी बीमारी ठीक कराने के लिए कम से कम 5 दिन शिविर में ठहरना होता है। हैरानी की बात यह है कि हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ रही है और पुलिस प्रशासन सब कुछ देखकर भी मूकदर्शक बना हुआ है। पुलिस ने बाबा से किसी तरह का कोई दस्तावेज नहीं मांगा है, जबकि बाबा खोखले दावे और अंध विश्वास फैला रहा है। 

बाबा का इलाज करने का तरीक सबसे अलग
बता दें कि इस कंबल वाले बाबा का इलाज करने का तरीका भी सबसे अलग है। वो पोलियो और लकवा से अकड़े हाथ-पांव को कपड़े की तरह मरोड़ देता है। मरीज चीखते-चिल्लाते रहते हैं फिर भी इतना दर्द सहने के बाद भी बाबा से इस तरह का इलाज करवा रहे हैं। इतना ही नहीं बाबा गूंगे-बहरों को लाइन से खड़ा कर देता है। फिर वो सभी को एक-एक करके जोर से कानों के नीचे थप्पड़ बरसाता रहता है। लोग इतनी यातनाएं झेलने के बाद भी कुछ नहीं कहते हैं।