पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले उठापटक- और दल-बदल की राजनीति जोरों पर है। 7 दिन पहले भाजपा में शामिल होने वाले विधायक बलविंदर सिंह लड्डी ने फिर घरवापसी की है और सोमवार को कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।

चंडीगढ़। पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले उठापटक- और दल-बदल की राजनीति जोरों पर है। 7 दिन पहले भाजपा में शामिल होने वाले विधायक बलविंदर सिंह लड्डी ने फिर घरवापसी की है और सोमवार को कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। उन्होंने खुद इसकी पुष्टि की है। लड्डी ने कहा कि अगर पार्टी ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए कहा तो वह जरूर चुनाव लड़ेंगे। बताया गया कि जब लड्डी दिल्ली से लौटे तो इलाके के लोग विरोध करने लगे थे। उन्होंने लड्डी को किसान आंदोलन की याद दिलाई और कहा कि उन्होंने गलत फैसला लिया है। इसके बाद कांग्रेस ने भी उन्हें टिकट का भरोसा दे दिया।

कांग्रेस की भी मजबूरी हैं लड्डी
बलविंदर सिंह लड्डी श्री हरगोबिंदपुर से विधायक हैं और कांग्रेस के पास अब तक कोई दूसरा मजबूत कैंडिडेट नहीं है। पहले कांग्रेस कहती रही कि लड्डी को टिकट नहीं मिलना था। इस बारे में उन्हें भी बता दिया गया था। सूत्रों की मानें तो श्री हरगोबिंदपुर में अब तक कांग्रेस को कोई दूसरा बड़ा चेहरा नहीं मिला। 

 

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बलविंदर सिंह लड्डी 28 दिसंबर को कादियां से विधायक फतेह जंग बाजवा के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। बता दें कि फतेह जंग और लड्डी दोनों पहली बार विधायक बने हैं। फतेह जंग बाजवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा के भाई हैं। जबकि लड्डी भी बाजवा खेमे से ताल्लुक रखते हैं। बताया गया कि बड़े भाई प्रताप सिंह बाजवा ने कादियां से विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी, इसी बात से नाराज फतेह जंग ने कांग्रेस छोड़ी। जबकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने फतेह जंग की उम्मीदवारी का समर्थन किया था। 

अमरिंदर सिंह के वफादार हैं तीनों विधायक 
कांग्रेस के एक अन्य विधायक राणा गुरमीत सोढ़ी भी 22 दिसंबर को भाजपा में शामिल हुए थे। सोढ़ी के अलावा, बाजवा और लड्डी कांग्रेस के पूर्व नेता अमरिंदर सिंह के वफादार हैं। ये तीनों अमरिंदर सिंह की नई पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस में शामिल होने के बजाय भाजपा जॉइन की थी। अब लड्डी ने 7 दिन बाद बीजेपी को झटका दिया और कांग्रेस में वापसी की है। 

टिकट बंटवारे को लेकर चन्नी और सिद्धू में खींचतान?
ऐसी खबरें हैं कि टिकट बंटवारे को लेकर चन्नी और सिद्धू में बात नहीं बन रही है। पार्टी की आंतरिक कलह उस समय सामने आ गई जब सिद्धू ने बटाला रैली में पूर्व विधायक अश्विनी सेखरी को बटाला से कांग्रेस का उम्मीदवार घोषित कर दिया जबकि पार्टी ने अभी तक उम्मीदवारों की सूची जारी ही नहीं की है। सिद्धू की घोषणा से मंत्री त्रिपत राजिंदर बाजवा नाराज हो सकते हैं जो बटाला सीट पर नजर गड़ाए हुए हैं। 

दिलचस्प होने जा रहा है चुनाव
केंद्र के तीन कृषि कानूनों के मुद्दे पर बीजेपी के सबसे पुराने साथी शिरोमणि अकाली दल ने पंजाब में गठबंधन तोड़ दिया था, ऐसे में चुनाव से पहले भाजपा को नए साथियों की तलाश है। अमरिंदर सिंह की एंट्री से बीजेपी का खेमा मजबूत जरूर हुआ है, लेकिन कांग्रेस के अलावा इस बार आम आदमी पार्टी भी पंजाब में पूरा जोर लगा रही है, ऐसे में पंजाब का विधानसभा चुनाव ज्यादा दिलचस्प होने वाला है।

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