असम में मानसून के दौरान भारी बारिश और ब्रह्मपुत्र नदी के उफान से हर साल बाढ़ आती है। जलवायु परिवर्तन, नदी में गाद जमा होना और खराब बुनियादी ढांचा भी इसके प्रमुख कारण हैं।
Assam Floods: मानसून (Monsoon) के आने के साथ ही असम इन दिनों बाढ़ की चपेट में है। यह एक साल की बात नहीं है। लगभग हर साल असम को जानलेवा बाढ़ का सामना करना पड़ता है। पानी बढ़ने के साथ ही नदियां उफना जाती हैं, सैकड़ों गांव डूब जाते हैं और हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ता है। बहुत से लोगों की जान जाती है। इस साल असम में बाढ़ के चलते कम से कम 10 लोगों की मौत हुई है। 20 से अधिक जिलों में करीब 4 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। आइए जानते हैं असम में हर साल ऐसी स्थिति क्यों आती है।
1- असम की भौगोलिक चुनौती
असम बाढ़ की अधिक संभावना वाली ब्रह्मपुत्र घाटी में स्थित है। यह मानसून के दौरान भारी वर्षा वाला क्षेत्र है। दुनिया की सबसे बड़ी नदियों में से एक ब्रह्मपुत्र नदी, 50 से अधिक तलछट-युक्त सहायक नदियों के साथ असम से होकर बहती है। नदी में गाद भर जाने से वह अपना रास्ता बदलती है। इसके चलते बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है। सामान्य मानसून में भी ये नदियां उफान पर रहती हैं।
2- जलवायु परिवर्तन से वर्षा में आई तेजी
हाल के वर्षों में जलवायु परिवर्तन ने असम और इसके आसपास बारिश का पैटर्न बदला है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में भारी, अनियमित बारिश हो रही है। इसके चलते "अचानक बाढ़" (flash floods) आने की घटनाएं हो रहीं हैं। बेहद कम समय में बहुत अधिक बारिश होने से नदियां और दूसरी जल निकासी सिस्टम डूब जाते हैं। इससे फ्लैश फ्लड की स्थिति बनती है। इस साल असम के कई जिलों में 24 घंटों में 100 मिमी से ज्यादा बारिश हुई है। इससे पहले से ही उफनती नदियां खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गईं हैं।
3- गाद और नदी तल का बढ़ना
नदियों में तेजी से गाद जमना बाढ़ आने का प्रमुख कारण है। ऊपरी इलाकों में जंगलों की कटाई के कारण ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों में भारी मात्रा में गाद जमा हो जाती है। इससे नदी तल का स्तर बढ़ जाता है। नदी की पानी रोकने की क्षमता कम हो जाती है। बारिश होने पर पानी किनारे को तोड़कर बह जाती है, जिससे बाढ़ आता है।
4- बांधों से पानी छोड़ा जाना
भारत और सीमा पार चीन में नदी के ऊपरी क्षेत्र में स्थित बांधों से अचानक पानी छोड़े जाने से बाढ़ की तीव्रता बढ़ जाती है। पानी छोड़ना कभी-कभी बांध की सुरक्षा के लिए जरूरी होता है, लेकिन समय पर समन्वय और चेतावनी प्रणाली की कमी से डाउनस्ट्रीम (नदी के निचले इलाके) में बाढ़ आ जाता है।
5- खराब बुनियादी ढांचा और शहरी जल निकासी
असम का बाढ़ नियंत्रण बुनियादी ढांचा गंभीर तनाव में है। दशकों पहले बनाए गए कई तटबंध या तो कमजोर हैं या आसानी से टूट जाते हैं। इस साल कई तटबंध पहले ही टूट चुके हैं। गुवाहाटी जैसे शहरी इलाकों में भी नालों के जाम होने और अनियोजित निर्माण की वजह से थोड़ी सी बारिश में भी गंभीर जलभराव हो जाता है।
बाढ़ से बचाव के लिए क्या करना होगा?
- नदियों की सफाई करनी होगी। गाद हटाना होगा।
- मजबूत तटबंधों का निर्माण करना होगा।
- नदी के जल स्तर की रियल टाइम निगरानी करनी होगी।
- बाढ़ पूर्वानुमान प्रणाली विकसित करना होगा।
- अंतर-राज्यीय और अंतरराष्ट्रीय जल-बंटवारे के समन्वय को मजबूत करना होगा।