सार
शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) महाराष्ट्र के नये मुख्यमंत्री होंगे। महाराष्ट्र में चले सियासी घमासान के बाद सेहरा शिंदे के सिर ही बंधा, जिसकी उम्मीद बहुत कम लोगों को थी।
मुंबई. महाराष्ट्र के नये मुख्यमंत्री बनने जा रहे एकनाथ शिंदे राजनीति की दुनिया में अचानक धूमकेतु की तरह से चमके हैं। एमवीए सरकार को गिराने के बाद यह माना जा रहा था कि देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बनेंगे लेकिन भाजपा ने सभी को चौंकाते हुए एकनाथ शिंदे को सीएम की कुर्सी सौंप दी। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने खुद प्रेस कांफेंस करके एकनाथ शिंद को सीएम बनाने का समर्थन किया। आइए जानते हैं कौन हैं एकनाथ शिंदे और कैसा रहा है उनका राजनैतिक सफर...
कभी आटो चलाते थे शिंदे
एकनाथ शिंदे मूलरूप से सतारा जिले के पहाड़ी जवाली तालुका के रहने वाले हैं और बाद में वे ठाणे आ गए। शहर आने के बाद 11वीं की पढ़ाई मंगला हाईस्कूल और जूनियर कालेज ठाणे से पढ़ाई की है। वे वागले इलाके में रहकर आटो चलाते थे और उसी दौरान उनकी मुलाकात शिवसेना नेता आनंद दिघे से हुई। महज 18 साल की उम्र में वे राजनीति में कूद गए। उनके राजनैतिक सफर की बात करें तो चाहे वह नगर निगम का चुनाव हो या फिर लोकसभा का चुनाव हो, सभी में एकनाथ शिंदे के प्रत्याशी ही चुनाव जीतते रहे हैं। यही कारण है कि शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे भी कल्याण लोकसभा सीट से सांसद हैं।
2004 में पहली बार बने विधायक
एकनाथ शिंद के पालिटिकल सफर की शुरूआत तो काफी पहले हो चुकी थी लेकिन वे विधायक पहली बार 2004 में बने थे। इससे पहले 1997 में शिवसेना के टिकट पर ठाणे नगर निगम में पार्षद का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की थी। 2001 में वे ठाणे नगर निगम में सदन के नेता बने और 2004 तक इस पद पर बने रहे। हालांकि शिवसेना में उनकी एंट्री 1980 में हो गई थी जब बालासाहेब ठाकरे से प्रभावित होकर वे शिवसेना में शामिल हुए। तब उन्हें किसान नगर का शाखा प्रमुख नियुक्त किया गया और उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
2014 में आया था टर्निगं प्वाइंट
राजनैतिक तौर पर देखें तो साल 2014 एकनाथ शिंदे के लिए टर्निंग प्वाइंट रहा। 2014 में चुनावों के बाद एकनाथ शिंदे को शिवसेना ने विधायक दल के नेता के तौर पर चयनित किया। बाद में वे महाराष्ट्र विधानसभा में नेता विपक्ष भी बने। इसके बाद जब एमवीए सरकार बनी तो एकनाथ शिंदे को लोक निर्माण विभाग मंत्रालय दिया गया। उनके पास परिवार कल्याण मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी रहा।
एक बार छोड़ दी थी राजनीति
जब एकनाथ शिंदे पार्षद थे तो उनका परिवारा सतारा गया हुआ था। इस दौरान हुए हादसे में शिंदे ने अपने 11 साल के बेटे दीपेश और 7 साल की बेटी शुभदा को खो दिया था। बोटिंग करते हुए यह हादसा हुआ और पिता के सामने ही दोनों बच्चों की डूबकर मौत हो गई। उस वक्त उनके दूसरे बेटे की उम्र सिर्फ 13 साल थी। इस घटना ने शिंदे को झकझोर कर रख दिया और वे राजनीति से भी किनारा करने लगे। उन्होंने राजनीति न करने का भी मन बना लिया था।
5 प्वाइंट में जानें कौन हैं एकनाथ शिंदे
1. 9 फरवरी 1964 को जन्म हुआ
2. 1997 में पहली बार पार्षद बने
3. 2004 में पहली बार विधायक बने
4. 2009, 2014, 2019 में विधायक बने
5. 2014 में पहली बार नेता सदन बने
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