Axiom 4 Mission: भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरिक्ष के लिए रवाना। जानिए इस मिशन का उद्देश्य और भारत को इससे क्या फायदा होगा?

Axiom 4 Mission: भारत के शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री बुधवार 25 जून को 12 बजकर 1 मिनट पर एक्सिओम-4 मिशन के लिए रवाना हुए। कैनेडी स्पेस सेंटर से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए निकला ये यान 28 घंटे के सफर के बाद 26 जून की शाम 4:30 बजे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पहुंचेगा। आखिर क्या है एक्सिओम-4 मिशन और इससे भारत को क्या फायदा होगा, जानते हैं।

क्या है Axiom 4 Mission?

एक्सिओम मिशन 4 इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए एक प्राइवेट मल्टीनेशनल स्पेस फ्लाइट है, जिसे एक्सिओम स्पेस ने एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स और नासा के साथ मिलकर आयोजित किया है। इस मिशन के लिए भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को खासतौर पर चुना गया। शुभांशु शुक्ला सहित चालक दल आईएसएस पर करीब 2 सप्ताह बिताएंगे। बता दें कि शुभांशु आईएसएस पर जाने वाले पहले और अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं। उनसे पहले 1984 में भारत से राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष यात्रा की थी।

Axiom 4 Mission से भारत को क्या फायदा?

  • Axiom 4 Mission से करीब 41 साल बाद किसी भारतीय की अंतरिक्ष उड़ान में वापसी हुई है। इस यात्रा से 2027 के लिए प्लान किए गए इसरो के गगनयान मिशन के लिए काफी कुछ सीखने को मिलेगा।
  • Axiom 4 Mission से मिलने वाला एक्सपीरियंस और डेटा भविष्य के भारतीय मिशनों, जिसमें गगनयान और 2040 तक मानव को चंद्रमा पर उतारने जैसे लक्ष्य को सीधे तौर पर मदद करेगा।
  • इस मिशन के तहत बायोलॉजिकल स्टडी की जाएगी, जिसमें अंतरिक्ष में मानव स्वास्थ्य और जीवों पर असर को देखा जाएगा। सूक्ष्मजीव अनुकूलन और सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण प्रभावों पर रिसर्च से काफी फायदा होगा, क्योंकि ये सबकुछ पृथ्वी पर कर पाना मुश्किल या असंभव है। इसरो और शीर्ष भारतीय संस्थानों द्वारा की जाने वाली ये रिसर्च एग्रीकल्चर और टेक्नोलॉजी में भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती है।
  • ये मिशन NASA और अन्य अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ भारत की साझेदारी और ज्वॉइंट कमिटमेंट को मजबूत करेगा। इस मिशन से ISRO की इमेज ग्लोबल लेवल पर बढ़ेगी।
  • एक्स-4 में भागीदारी से भारत को तेजी से बढ़ते ग्लोबल स्पेस मार्केट में प्रवेश करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी के साथ ही भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की अगली पीढ़ी को प्रेरणा भी मिलेगी। कुल मिलाकर ये मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा, जो वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती क्षमताओं को दिखाने के साथ ही साइंटिफिक, टेक्निकल और स्ट्रैटेजिकल फायदा पहुंचाएगा।

कौन हैं शुभांशु शुक्ला?

यूपी के रहने वाले शुभांशु शुक्ला का जन्म 1986 में लखनऊ में हुआ। उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से पढ़ाई की और 2006 में इंडियन एयरफोर्स में सिलेक्ट हुए। अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए शुभांशु ने रूस, अमेरिका जैसे देशों में स्पेशल ट्रेनिंग ली। उन्होंने माइक्रोग्रैविटी में काम करने, इमरजेंसी हैंडलिंग और तमाम तरह की साइंटिफिक रिसर्च की ट्रेनिंग भी ली है।